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देवसम वेवसेन आचार्य को अद्वितीय व्यक्तित्व एवं कृतित्व को
विषय-सूची
-विषय
पृष्ठ -विषयदर्णनसार
१ एकान्त नियतिवादी जनाभास
२ प्रत्येक कार्य के लिए '५ काष्ठासंघ
२ कारणों की आवश्यकता श्वेताम्बर संघ
२ मिथ्यात्व में बन्ध द्राविक संघ
३ सासादन गणम्यान यापनीय संघ
३ मिन गुणस्थान निपिकिछक संघ
४ अविरत सम्बन्ट गणस्थान निमित्त उपादान से कार्य होता है देश विरत {श्रावक। नयचक्र
५ अण्ट पूलगुण नय
. श्रावक के पद आवश्यक निश्चय-व्यवहार नय १२ देवरा आलाप पद्धति
१४ जिनदर्शन महिप श्रुप्तभवन दीपक नयचक्र
जिन चैत्य-च-यालय का स्वरूर ६८ (आध्यात्मिक नय)नयपक्षातीत ५ अकृत्रिम चैत्य । तत्वसार
२४ जिनेंद्रपूजा विधि पंचमकालमे भावन्निगी मुनियोंका अभिषेक पूजा का फल सद्भाव (मनि निवास) २५ अरिहंत भवितसे तिथंकर नाम पंचम कालमे मुनियोंकी १ वर्ष का कर्म बन्न तपस्या चतुर्थ कालगे १०० वर्ष गरूपास्ति के समान है
२७ धावत्य न करने में दोष पंचम कालके अन्तम तक भाव यायत्त्य का प्रयोजन व फर लिगीमुनि
२८ वयावृत्त्यसे तिर्थकर नाम कमका आराधना सार
३० बन्ध ध्यान का पात्र
३१ स्वाध्याय भावसंग्रह (देवसेन के स्वयं देव संयम होने का प्रायोगिक मार्ग) ३. तप मिथ्यात्व मे बन्ध
४२ दान एकान्त कालवादी
४६ दानांश
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