SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 317
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भाब-संग्रह अर्थ- मनुष्य पश के शरीर पर जो मांस को जाली आती हैं उसको जरायु कहते है, ऐसी जरासहित जा उत्पन्न होने है उगको जरायुज कहते है । पृथ्वीपर जो घास आदि उत्पन्न होते है उनको द्भिज्ज कहते है अंडों से उत्पन्न होने वाले अंडज कहलाते हैं जो ब्रह्मा इन सब जीवों को उत्पन्न करता है, नारकी मनुष्य पशुपक्षी देव ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्रों को उत्पन्न करता है. चांडाल, डांब, श्रीवर, धोबी. कलार, छीपी, हाथी, घोडा, गाय, भैस, गधा, व्याघ्र, मुअर, सिह. हरिण आदि समस्त जीवों को उत्तपन्न करता है, अनेक कूलों को उत्पन्न करता है, अनेक जातियों को उत्पन्न करता है, अनेक योनियों को उत्पन्न करता है, समस्त जीवों को आयु वैभव आदि उत्पन्न करता है. अनेक प्रकार के रूप उत्पन्न करता है, पर्वत नदी सागर द्वीप गांव नगर बाग वगीमा पृथ्वी आकाश आदि समस्त पदाथों को समस्त जीवों को चितवन करने मात्र ही आधे क्षण मे ही सबको उत्पन्न कर लेता है ऐसा वह ब्रह्मा केवल स्वर्ग का राज्य लेने के लिये घोर तपश्चरण क्यों करता है ? व्यर्थ ही अपने शरीर को क्यों संतप्त करता है ? वह तो तीनों लोकों के उत्पन्न करने में समर्थ है फिर भला वह अपने लिये राज्य उत्पन्न क्यों नहीं करलेता है। जिस प्रकार उसमे तीनों लोक उत्पन्न किया है उसी प्रकार उसको एक स्वर्ग और उत्पन्न कर लेना चाहिय और स्वय उसका राज्य करना चाहिये। उत्पन्न करने की सामर्थ्य रखते हुए भी दुस- राज्य को छीनने के लियं तपश्चरण करना कितने आश्चर्य और विडंबना की बात है । इससे सिद्ध होता है कि यह जगत् ब्रह्मा वा अन्य किसी का का बनाया हुआ नहीं है किंतु स्वय सिद्ध अनादि काल से चला आ रहा है। इसका का कोई नहीं है। आग और भी कहते है। अच्छतिलोत्तमाए पट्टे वट्टण रायरस रसिओ । तवमट्टो चउपयणो जाओ सो मयणवस चिसो ।। २१० ॥ अप्सरस्तिलोसमाया नत्यं दृष्टया रागरसरसिकः । तपोभ्रष्टः चतुर्ववनः जासः स मरनवाशचिसः ॥ २१० ।।
SR No.090104
Book TitleBhav Sangrah
Original Sutra AuthorDevsen Acharya
AuthorLalaram Shastri
PublisherHiralal Maneklal Gandhi Solapur
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy