SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 216
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ... . . A. ॐ श्री नीतगंगाय नम श्राचार्यवर्य श्री देवमेन विरचित -भाव-संग्रह भ्रमरना. गरम्बनी दिवाकर, पं. लालाराम मात्री द्वारा निर्मित हिन्दी भाषा टीका सहित - मंगलाचरण ) धन्दे शान्तिजिनेन्द्र श्रीजिनभक्तं 'समन्तभन' च । बन्दै शान्तिपयोधि रत्नत्रयलब्धये भक्त्या ।। में लालाराम शान्त्री रत्नत्रय की प्राप्ति के लिए भक्तिपूर्वक श्रीशालिनाथ जिनेन्द्रदेव को वन्दना करता हूँ, परम जिनभक्त श्री ममन्तभद्रभ्यामी को बन्दना करता हूँ और आचार्यश्री शांन्तिसागर की वन्दना करता हूं। आचार्य विरचित-मंगलाचरण और प्रतिज्ञा पणमिय सुरसेणणुयं मुणिगणहरवंदियं महावीरं । वोच्छामि भावसंगह मिणमो भयप्पवोही ॥१॥ प्रणम्य सुरसेननुतं मुनिगणधरवन्दितं महावीरम् । वक्ष्ये भावसंग्रहमेतं भव्यप्रबोधनार्थम् ॥१॥ अर्थ- जो महावीर स्वामी आचार्य श्री देवसेन के द्वारा बन्दनीय
SR No.090104
Book TitleBhav Sangrah
Original Sutra AuthorDevsen Acharya
AuthorLalaram Shastri
PublisherHiralal Maneklal Gandhi Solapur
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy