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से परम अर्थात् उत्कृष्ट ध्यान होता है । उस परम ध्यान में स्थित हुप जीवों को जो वीतरागपरमानंद सुख प्रतिभासित है वही निश्चय मोक्षमाग स्वरूप है।
वह दूसरे पर्याय नामों से क्या क्या कहलाता है अर्थात् उसको किन किन नामों से लोग कहते है सो कथन किया जाता है । वहीं शद्ध आत्मा का स्वरूप है। वहीं स्वात्मोपणब्धि स्वरुप है। वही निर्मल स्वरुप का धारक है । वही स्वसंवेदन ज्ञान है । वहीं शुद्धात्म स्वरूप है। वहीं परमात्म का दर्शन है । बही शुद्ध चारित्र है । वही शुद्वात्म द्रव्य है । बही शुद्ध आत्मा की अनुभूति हैं । वही शुद्धात्मा कि प्रतीति है, वहीं स्वसंबित्ति है, वही परम समाधि है, वही शुद्धात्म पदार्थ है, वहीं शुद्धात्म पदार्थ का अध्ययन है, वही निश्चय मोक्ष उपाय है, वही एकात चिन्ता स्वरुप ध्यान है, वहीं शुद्धोपयोग है, वही परम योग है, वही भतार्थउपादेय है, वही निश्चय पंचाचार है, वही आत्म स्वरुप है, वहीं आत्म सार है, वही समतादि निश्चय नय से षडावश्यक है, वही अभेद रत्नत्रय है, वहीं वीतराग परम सामायिक, वही परमात्म भावना है वही शुद्धात्म के भावना से उत्पन्न सुखानुभूति स्वरुप परम कला है, वहीं परमामृत स्वरुप परम ध्यान है, वहीं शक्ल ध्यान है, वहीं रागादि विकल्प से रहित ध्यान है, वहीं परम वीतरागत्व है, वहीं जा परम भेद ज्ञान है ऐसे समस्त रागादि विकल्पों से रहित परम आनद सुख रुप लक्षण का धारक जो ध्यान है उस स्वरूप जो निश्चय माक्ष मागे । उसको कहने वाले अन्य भी बहुत से जीव पर्यायी नामः परमात्म तत्त्व को अर्थात परमात्मा के स्वरुप को जानने वाले जो भव्य जीव है उनको जान लेने चाहिये 1
आद-रौद्र परित्याग लक्षण निबिकल्प सामायिक स्थितानां यच्छु. द्वात्मरूपस्य दर्शनमनुभवलोकन मुपलब्धिः संवित्रिः प्रतीतः रुपपतिरनुभूति स्तदेव निश्चयनयेन निश्चय चारित्राविनामादि निश्चय सम्यक्त्व वीत-- राग सम्यक्त्व भन्यते तदेव च गुणगण्यभेद रुप निश्चय नयन सुद्धात्म स्वरुपं भवतीति ।
स. सा. त. व. -- जीवाधिकार पीठिका आर्त-रौद्र ध्यान का त्याग कर देना है लक्षण जिसका एसे निवि