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________________ है। सोमकीनि एवं यशोधर दोनों ही १६ वीं शताब्धि के उद्भट विद्वान तथा रास्थानी को कट्टर समर्थक थे। सम्पादन में सहयोग लकदमी के प्रत्येक भाग वो सम्पादन में लेखक एवं प्रधान सम्पादक के प्रति रिक्त तीन-तीन विद्वानों का सहयोग लिया जाता है। प्रस्तुत भाग के सम्पादक तीर्थंकर के यशात्री मम्पादक हात नेगीचन्द जन इन्दौर, यूबा विहान डा० भाग चन्द भागेन्दु दमोह एवं उदीयमान विदुषी श्रीमती सुशीला वाकलीवाल हैं । इस भाग के सम्पादन में तीनों विद्वानों का जो सहयोग मिला है, उसके लिए हम उनके पूर्ण प्रभारी है। अब तक अकादमी को जिन विद्वानों का सम्पादन में सहयोग प्राप्त हो चुका है उनमें डा० सत्येन्द्र जी, १० दरबारीलालजी कोठिया वाराणसी, 4 अनप चन्द जी न्यागतीर्थ जयगुर, डा. ज्योतिप्रसाद जी लखनऊ, डा० हीरालाल जी महेश्वरी जयपुर, 2 i a ; जा र..२ जयपुर, डा. नरेन्द्र भानावत जयपुर, प० पांवरलाल जी न्यायतीर्घ जयपुर के नाम उल्लेखनीय हैं। नवीन सवस्यों का स्वागत __अब तक अकादमी के ३०० सदस्य बन चुके हैं । जिनमें ७० सत्चालन समिति में तथा २३० विशिष्ट सदस्य हैं। नीसरे भाग के प्रकाशन के पाचात सम्माननीय श्री रमेश चन्द्र जी सा० जैन पी०एस० मोटर कम्पनी देहली एवं पादरणीय श्री वीरेन्द्र हेगड़े धर्मस्थल ने अकादमी संरक्षक बनने की कृपा की है। श्री रमेशचन्दजी उदीयमान युवा उद्मोगपति हैं । ये उदारमना है तथा समाज सेवा में खूब मनोयोग से कार्य करत है । समाज' को जनरो विशेष याशाए हैं। उन्होंने अकादमी का संरक्षक बन प्राचीन साहित्य के प्रकाशन में जो योग दिया है उसके लिये हम उनके पूर्ण आभारी हैं। अकादमी के नौ संरक्षक धस्थल के प्रमुख धर्माधिकारी श्री वीरेन्द्र हेगड़े है। जो बीसवीं शताब्दि के अभिनव चामुडराय हैं, तथा समाज एवं साहित्य को सेवा करने में जिनकी विशेष रूचि रहती है। जो दक्षिण एवं उत्तर भारत की जैन समाज के लिये सेनु का कार्य करते हैं। उनके संरक्षक मानने से अकादमी गौरवान्वित इसी तरह गया ।बिहार) के प्रमुख समाज सेवी श्री रामचन्द्र जी जैन ने उपाध्यक्ष वन कर साहित्य प्रकाशन में जो गहयोग दिया है उसके लिये हम उनके विशेष प्रामारो है। इनमें अतिरिक्त संगीत रत्न श्री ताराचन्दजी प्रेमी फिरोजपुर झिरका, श्री हीरालालजी रानीवाले जयपुर, राजस्थानी भाषा समिति के भूतपूर्व अध्यक्ष श्री नालाल जी जैन एडवोकेट श्री नन्दकिशोर जी जैन जयपुर, पं० गुलाब
SR No.090103
Book TitleBhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Story
File Size4 MB
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