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भरतेश वैभव
___ कोई कहने लगे कि हमें चिता किस बातक है ? क्या आभूषणोंको ले जाकर उन्हें सौंपना है ? या अपने बाल बच्चोंको सम्हालनेके लिए उनको कहकर आना है अथवा अपनी स्त्रियोंके संरक्षणके लिए कहकर आना है ? फिर क्या है ? नको हमें चिंता ही क्यों है ? हमें यदि उनको चिन्ता नहीं है तो उनको भी हमारी चिंता ही क्या है ? क्योंकि उनको हम सरीखे हजारों पुत्र हैं।
हमारो लिहाज या जरूरत उनको नहीं है। उनकी जरूरत हमें नहीं है। उनके लिए वे हैं हमारे लिए हम । विचार करनेपर इस भवमालामें कौन किसके हैं ? यह सब भ्रांति है।
पुत्र पिता होता है । पिता उसी जन्ममें अपने पुत्रका ही पुत्र बनता है। पुत्री माता होती है। उसी प्रकार उसी जन्ममें माता पुत्रीको पुत्री बन जाती है । बड़ा भाई छोटा भाई बन जाता है। छोटा भी बड़ा होता है। स्त्री पुरुष होतो है, पुरुष स्त्रीयोनिमें उत्पन्न होता है। यह सब कर्मचरित हैं।
शत्र कभी मित्र बनता है। मित्र भी शत्र बन जाता है। परिवर्तन शील इस संसारको स्थितिका क्या वर्णन करना । यहाँपर सर्व व्यवस्था परिवर्तनरूप है । अनिश्चित है । इसलिए कौन किसका भरोसा करें। ___ कान्ता के गर्भसे आते हुए साथमें लाया हुआ यह काय भी हमसे भिन्न है, हमारा नहीं है, फिर माता-पिताओं की बात हो क्या है ? इसलिए विशेष विचार करने की जरूरत नहीं । "हंसनाथाय नमः स्वाहा" यह दीक्षा के लिए उचित ममय है । अब अविलम्ब दीक्षा लेनी चाहिए । अपन सब लोग चलें। ___ यदि नौकर लोग यहाँसे गये तो पिताजीसे जाकर कहेंगे एवं हमें दीक्षाके लिए विघ्न ऊपस्थित होगा, इस विधारसे उनको अनेक तंत्र उपायोंसे फंसाकर अपने साथ ही वे कुमार ले गये । उनको बीच में अनेक बातोंमें लगाकर इधर-उधर जाने नहीं देते थे।
वीर योद्धा युद्ध के लिए अनुमति पानेके हेतु जिस प्रकार अपने स्वामी के पास जाते हैं, उसी प्रकार "स्वामिन् ! दीक्षा दो, हम लोग यमको मार भगायेंगे" यह कहने के लिए अपने दादाके पास वे जा रहे थे। ___ स्वामिन् ! अरिकर्मोको हम जलायेंगे, मोक्षरूपो किलेको अपने वशमें करेंगे, यह हमारी प्रतिज्ञा है, इसे आप लिख रखें यह कहनेके लिए वादिप्रभुके पास वे जा रहे हैं।