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________________ १६ भरतेश वैभव बिना निमन्त्रणके आनेवालोंको वहाँपर नहीं जाना चाहिये, यह राजपुत्रोंका धर्म है। हम यदि वहाँपर आयेंगे तो पिताजी नाराज होंगे, इसलिए हम दोनों नहीं आयेंगे । हमारे मित्र आ जायेंगे, छप्पन देशके राजालोग हैं । खेचर हैं, भूचर हैं। जाओ, अपने कार्यको संपन्न करो। सुरचन्द्र, शुभचन्द्र, गुणचन्द्र, श्रीचन्द्र, वरचन्द्र, विक्रान्तचन्द्र, हरिचंद्र व रणचन्द्र नामके अपने साथके आठ चन्द्रोंको अर्कफीतिने स्वयंवरमें जानेके लिए कहा । उडमति व सन्मति नामक अपने दो मंत्रियोंको भी वहाँपर जानेको अनुमति दो। साथ में उनको यह भी कह दिया कि हम लोग यहाँपर हैं इस विचारसे कोई संकोच वगरहकी जरूरत नहीं, तुम लोग आनन्दसे खेलकूदसे अपना कार्य करो। इस प्रकार सुरचन्द्र आदि आठ चन्द्र, परिवारके मख्य सज्जन व उभय मन्त्रियों को अनुमति मिलने के बाद वे सब मिलकर वहाँसे गये। दूसरे दिनको बात है, नगर के बाहर स्वयंवर के लिए खासकर निर्मित स्वयंवर मण्डपमें आगत सर्व राजा दुपहरको पधारें, इस प्रकारकी राजघोषणा की गई। इस राजघोषणा ( ढिंढोरा ) की ही प्रतीक्षा करते हुए सभी राजपुत्र पहिसे बजकर ये: इ. जमाले पो है अपनी-अपनी सेना परिवारके माथ एवं गाजेबाजे के साथ स्वयंवर-मण्डपमें प्रविष्ट हो गये। उस विशाल स्वयंवर-मण्डपमें सबके लिए भिन्न-भिन्न आसनकी व्यवस्था की गई थी। उनपर वे बैठ गये। राजा अकंपनने उन आगत राजाओंको तांबूल वस्त्राभूषणादिकसे पहिलेसे वहाँपर सत्कार किया। क्योंकि बाद में किसी एकके गले में माला पड़नेके बाद ये सब उठकर चले जायेंगे। सुलोचनादेवी अपनो परिवारी सखियोंके साथ सुन्दर पालकीपर चढ़कर स्वयंवर मण्डपकी ओर आ रही है। . वह परम सुन्दरी है, स्वयंवरके लिए योग्य कन्या है, परन्तु वह जिसके गले में माला डालेगी वह पुरुष बहुत अधिक वर्णन करने योग्य नहीं है । इसलिए सुलोचना देवीका भो यहाँपर संक्षेपसे ही वर्णन करना पर्याप्त होगा। यह भरतेश वैभव है। भरतचक्रवर्ती व उनको रानियोंका वर्णन जिस प्रकार किया जाता है उस प्रकार अन्य लोगोंका करूं तो वह उचित नहीं होगा तथापि उस स्वयंचरको मुख्य देवीका वर्णन करना जरूरी है.। __ मदनकी मदहस्तिनी आ रही है, अथवा मोहरथ ही आ रहा है, सब
SR No.090101
Book TitleBharatesh Vaibhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnakar Varni
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages730
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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