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________________ '४३८ भरतेश वैभव प्रतिभासके साथ जा रहा है। हे विजयलक्ष्मीपति ! यह विजयार्धदेव हैं । हे समवसरणनाथात्मज ! हिमगिरिके अग्रभागमें रहनेवाला यह हिमवंतदेव हैं। हे कालकारण्यदावानल ! हंसतत्वावलंब ! विभुवनरत्न ! यह तमिस्रगुफके अधिपति कृतमाल हैं। स्वामिन् ! खंडप्रपात गुफाके अधिपति नाटघमालको देखो। उत्तर भागके अनेक राजाओंके साथ जानेवाला यह कामराज है। मध्यखंडके राजसमूहके साथ जानेवाला यह मानी चिलातराज हैं, मानवंद हैं. देखो. दक्षिण खंड के अनेक राजाओंके साथ जानेवाला ग्रह उदंड राजा है. पूर्व खंडके राजाओंके साथ यह वेतंडराज है। ये सब उत्तरश्रेणीके राजागण हैं । ये दक्षिणश्रेणीके विद्याधर राजा हैं। आर्यखंडके समस्त राजा जा रहे हैं देखो। तिगुलाण्यपति, मागधंद्र, मालवेंद्र, काशमीराधिपति, लाट महालादाधिपति, चित्रकूटपति, भोटाधिपति, महाभोटाधिपति, कर्णाटकराज, चीनाधिपति, महाचीनाधिपति, काशीपति, सिंहलपति, बंगालभूनाथ, तुर्काधिपति, तेलगाधिपति, करहाटराज, हुरुमंजिनाथ, अंगदेशाधिश पल्लवराज, कलिगेंद्र, कांभोजपति, बंगपति, हम्मीरनप, सिन्धुनृपति, गौलदेशाधिपति, कोंकणपति, मलेयालाधीश, तुलराज, चोलराज, मलहाधिपति, कुंतलपालक, गुर्जरभूपति, नेपालद्र, पांचालराजा, सौराष्ट्रपति, बर्बरपनि आदि देशके राजा सम्राटको नमस्कार कर जा सबके जानेके बाद राजकुमारोंको बुलाकर उनके योग्य राज्योंको बढ़ाकर दिया व सेना समस्त सेवकोंको भी उचित इनाम वगैरह देकर संतुष्ट किया । वहाँ बातकी कमी है ? तदनंतर मागधामर धवगतिका सत्कार हआ। तदनंतर मेघश्वर (सेनापति) बिजय जयंतको अनेक राज्योंको बढाकर दिया गया और रत्लादिक दिये गये । बुद्धिसागर मंत्रीकी सलाहमे मित्रोंको अनेक राज्य बढ़ाकर दिये गये । सब लोक सम्राटको नमस्कार कर चले गये। ____ मंत्री बृद्धिसागरसे पूछा गया कि तुम्हें किस चीजकी इच्छा है ? बोलो । उत्तर में मंत्रीने कहा कि मुझे आपकी सेवाकी इच्छा है, दूसरा कुछ नहीं । सत्रमुच में जब षटखंडको ही भरतेशने उसके हाथमे मौंपा था फिर उसे और क्या देना है, तथापि मंगलप्रसंगमें अनेक उत्तमोनम वस्त्राभूषणों को देकर उसका आदर क्रिया, तदनंतर सम्राट महलकी ओर चले गये। माताके चरणोंमें नमस्कार कर सब वृत्तांत कहा, मातुश्रीको भी
SR No.090101
Book TitleBharatesh Vaibhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnakar Varni
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages730
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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