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________________ 52 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) __ यहाँ के शिवमन्दिर में तीन जैन अवशेष भी दर्शनीय हैं । उनमें से एक है 11वीं सदी की ज्वालामालिनी यक्षी की मूर्ति (चित्र क्र. 17) । यक्षी ललितासन में है। उसके मस्तक पर एक छत्र है, तथा मुकुट में चन्द्रप्रभ भगवान उत्कीर्ण हैं । यक्षी के आठ हाथ प्रदर्शित हैं । दूसरी वस्तु, ग्यारहवीं-बारहवों सदी की एक भट्टारक-मूर्ति है। भट्टारक पद्मासन में हैं, उनके मस्तक के आस-पास प्रभामण्डल है और अपने वक्षस्थल तथा कन्धों पर वे महीन वस्त्र धारण किए हुए हैं। तीसरी वस्तु, तीर्थकर का एक आसन है। यह भी ग्यारहवीं-बारहवीं सदी का होगा। आसन के ऊपर तीन छत्र हैं, चँवरधारी भी हैं तथा एक चाप है। आसन (पादपीठ) में पाँच सिंह उत्कीर्ण हैं। विद्याधर-मूर्ति ऐहोल की एक अनुपम कलाकृति इस समय दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय (म्यूज़ियम) में है। यह है विद्याधर मूर्ति । इसमें विद्याधरों को आकाश में उड़ते हुए बड़े आकर्षक ढंग से दिखाया गया है। ऐसा लगता है कि उनके कपड़ों में हवा भर गई है और उनके आस-पास बादल तैर रहे हैं। स्मारक ऐहोल गाँव के दक्षिण-पश्चिम दरवाज़े के बाहर हनुमन्त की एक आधुनिक वेदी है। उराके सामने के ध्वजस्तम्भ के पाषाण के पादुकातल में एक वीरगल या स्मारक है। उस पर प्राचीन कन्नड में एक लेख है। पाषाण के दूसरे भाग में पद्मासन में जिनेन्द्र-मूर्ति है। दोनों ओर यक्षिणियाँ हैं, चवरधारी हैं और शेष भाग में यह उल्लेख है कि अय्यावोले के पाँच सौ महाजनों ने दान दिया था। विशेष-सूचना अब ऐहोल की यात्रा समाप्त होती है। अगला दर्शनीय स्थल है पट्टदकल । वहाँ ठहरने, भोजन आदि की व्यवस्था नहीं होने से यह परामर्श दिया जाता है कि निजी वाहन वाले ऐहोल से पट्टदकल जाएँ और वहाँ से बादामी । जो सार्वजनिक वाहन से यात्रा करें वे ऐहोल से पट्टदकल होते हुए सीधे बादामी या ऐहोल से बागलकोट और वहाँ से बादामी जाएँ तथा वहाँ से पट्टदकल आएं। यह ध्यान रहे कि पट्टदकल छोड़ देने लायक स्थान नहीं है। पूरातत्त्व विभाग के संरक्षण में सुन्दर उद्यान के बीच अनेक दर्शनीय अजैन मन्दिर और एक जैन मन्दिर है। कुल पाँच-छ: घण्टे का समय पर्याप्त है। ऐहोल से पट्टदकल के लिए सार्वजनिक वाहन की और ठहरने आदि की ही असुविधा है।
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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