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________________ 30 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) दर्शनीय स्थल - कमल बसदि (नेमिनाथ जिनालय) यदि कोई यह पूछे कि बेलगाँव में देखने लायक एक ही कौन-सी चीज़ है तो बहुत स्पष्ट उत्तर होगा- नेमिनाथ जिनालय । इस उत्तर का खण्डन जिनभक्त तो शायद करेगा ही नहीं, कोई भी पुरातत्त्वविद् (आर्कियोलॉजिस्ट) या कलाप्रेमी भी नहीं करेगा । दसवीं सदी में निर्मित यह मन्दिर भारत सरकार के पुरातत्त्व विभाग के संरक्षण में है किन्तु इसमें आज भी पूजन होती है । यहाँ 15 जैन मन्दिर और हैं जिनका यथास्थान आगे परिचय दिया जायेगा । बेलगाँव में एक किला है जोकि लगभग सौ एकड़ में फैला हुआ है। यह क़िला बस स्टैण्ड के पास है। इसकी पश्चिम और उत्तर दिशा में दो दरवाज़े हैं । उत्तर दिशा का दरवाज़ा मुख्य दरवाज़ा है । इस क़िले में सेना की छावनी भी है । और यहीं है 'कमल बसदि' और 'चिक्क बसदि ' नामक दो जैन मन्दिर । क़िले के क्षेत्र में भी कुछ जैन परिवारों का निवास है । जनश्रुति है कि बेलगाँव के क़िले के निर्माण में 108 जैन मन्दिरों की सामग्री लगी है । शायद हम इस पर कम विश्वास करते किन्तु क़िले की दीवारें आज भी इसका प्रमाण दे रही हैं। आइए, हम एक-दो प्रमाण तो ढूँढ़ ही लें । क़िले में प्रवेश के लिए हम पूना - बंगलोर राजमार्ग से एस. पी. थोरात गेट की ओर जब बढ़ते हैं तो अपनी दाहिनी ओर डॉ. चौगुले भरतेश हाईस्कूल का भवन देखते हैं । वहीं 'भरतेश पॉलिटेकनिक' और 'भरतेश होम्योपैथिक कॉलेज' भी हैं । हाईस्कूल की नींव खोदते समय भी एक कायोत्सर्ग तीर्थंकर प्रतिमा निकली थी । इस हाईस्कूल और क़िले की दीवार के बीच में खाई है । स्कूल के पास खाई के किनारे खड़े होकर थोरात गेट के दाहिनी ओर दीवाल में बने गोल स्तम्भ की ओर यदि हम दृष्टि डालें तो उस स्तम्भ में नीचे की ओर गोल आकार में एक पद्मासन तीर्थंकर प्रतिमा जड़ी हुई दिखाई देगी। प्रतिमा पर तीन छत्र हैं। ऊपर एक शिखर है और पत्रावली है । अब इस स्थान से लगभग 15-20 फुट आगे दीवाल के ऊपरी हिस्से पर निगाह डालें तो अनेक जैन मूर्तियाँ क़िले की दीवाल में जड़ी हुई पायेंगे। इनमें से कुछ बेलों से ढँक भी गई हैं। लेखक पूरी दीवाल या पूरे क़िले का सर्वेक्षण नहीं कर सका । अब सीधे कमल बसदि ( देख चित्र क्र. 11 ) की ओर, क़िले के अन्दर । कमल बसदि की प्रसिद्धि का कारण है- मन्दिर के मण्डप की लगभग 30 फुट x 20 फुट गोलाकार छत की मंजरी में 'एक ही कमल' और नीचे की ओर आती उसकी पंखुड़ियों की अत्यन्त कलात्मक श्रृंखला । इस प्रकार के कमल आबू आदि के जैन मन्दिरों में (अर्थात् राजस्थान और गुजरात में भी कहीं-कहीं ) देखने को मिलते हैं । इस कमल की 72 पंखुड़ियों में एक-एक तीर्थंकर का अंकन है अर्थात् भूतकाल के 24, वर्तमान के 24 और भविष्यकाल के 24, इस प्रकार तीन चौबीसियों का मनमोहक उत्कीर्णन किया गया । इस फूल में या छत में एकदूसरे से छोटे होते गए चार घेरे हैं । बीच में कमल के चार फूल लटके हैं जो कि पाषाण के हैं । फूल भी एक-दूसरे से छोटे होते चले गये हैं । तीर्थंकरों के अतिरिक्त आठ दिक्पाल भी उत्कीर्ण हैं किन्तु दो दिक्पाल अब नहीं हैं । इस कमल को जितनी देर देखते रहें उतनी देर ऐसा लगता है कि हम कल्पना लोक में हैं । यह कमल पूरे कर्नाटक में प्रथम स्थान रखता है, यह कहा जा सकता है । उपर्युक्त खुले मण्डप में पाषाण के 14 स्तम्भ हैं । इन स्तम्भों और शहतीरों (बीम्स) पर T
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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