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________________ स्तवनिधि | 25 21 फुट, चन्द्रप्रभ 19 फुट और शान्तिनाथ के दूसरी ओर भगवान महावीर 19 फुट । दर्शक इन मूर्तियों की सौम्य मुद्रा को निहारता ही रह जाता है और उसका मस्तक इनके सामने अपने आप ही श्रद्धा से झुक जाता है। इस क्षेत्र को यदि जैन पुराण या इतिहास का एक संग्रहालय या म्यूज़ियम कहा जाय तो कोई अत्युक्ति नहीं होगी। यहाँ शान्ति है। साधना का, आत्मचिन्तन का अवसर है। जो लोग बड़े शहरों, उसके शोर-गुल, नौकरी, धन्धा या गृहस्थी के झमेलों से कुछ दिन राहत चाहते हैं उन्हें शान्ति मिलेगी इसी शान्तिगिरि में। यहाँ की प्रकृति भी उनका स्वागत करती जान पड़ती है। क्षेत्र का पता इस प्रकार है-श्री शान्तिगिरि क्षेत्र, पोस्ट-कोथली-कुप्पानबाडी591287, तालुक-चिकोड़ी, जिला-बेलगाँव (कर्नाटक)। टेलिफोन नंबर है-सिरगांव 29, देशभूषण आश्रम का फोन नं. है-सिरपुर 39 (इससे भी मदद मिलेगी)। और अब वापस निपाणी होते हुए स्तवनिधि की ओर। स्तवनिधि अवस्थिति और मार्ग सड़क-मार्ग द्वारा यह स्थान बम्बई-पूना-बंगलोर राजमार्ग क्र० 4 पर स्थित है और निपाणी से 7 कि० मी० तथा बेलगाँव से 55 कि० मी० की दूरी पर है। इस राजमार्ग की काली स्याह चौड़ी सड़क के किनारे पर नागरी लिपि में स्तवनिधि और वहाँ से बंगलोर का बोर्ड मील के अन्य पत्थरों की तरह लगा है। वहाँ से एक छोटी सड़क मुड़ती है जो कि पहाड़ी के पीछे डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर छिपे स्तवनिधि क्षेत्र की ओर आपको ले जाएगी। स्तवनिधि संबंधी मील का जहाँ पत्थर लगा है वहीं सड़क के किनारे की पहाड़ी पर श्री सहस्र फणि-पार्श्वनाथ गरुकल है जिसकी चर्चा आगे की जाएगी। स्तवनिधि क्षेत्र की सडक इसी गुरुकुल के सामने से होकर क्षेत्र की ओर जाती है। स्तवनिधि का आजकल वहाँ प्रचलित अपभ्रश नाम 'तावन्दो' है (स्तवनिधि शब्द घिसकर तावन्दी हो गया है।। तावन्दी नाम का गाँव पहाड़ी पर है। गुरुकुल के पास से बेलगाँव की ओर निरन्तर ऊँची उठती जाने वाली पहाड़ी को तावन्दी या तावन्दी घाट कहा जाता है। स्तवनिधि चिकोड़ी तालुक के अन्तर्गत है। --------- एक सावधानी-जो यात्री बस से स्तवनिधि के लिए मुख्य सड़क पर उतरें उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि डेढ़ कि० मी० दूर स्थित स्तवनिधि क्षेत्र तक जाने या सामान ले जाने के लिए कोई सवारी यहाँ नहीं मिलेगी। इस स्थान से स्तवनिधि तक की सड़क भी ऊँवी होती चली जाती है। इसलिए यह अधिक अच्छा होगा कि वे इस स्थान के पास स्थित गरुकुल में ठहरने सम्बन्धी सुविधा का पता लगा लें। स्तवनिधि कर्नाटक के प्रमुख तीर्थों में से एक है। उत्तर भारत से कर्नाटक जाने वाली
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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