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________________ बेलूर | 199 चलकर कुछ भेंट लेकर यह गुण्डुदर्शन काफी समय तक चलता रहा। कन्नड के प्रसिद्ध प्राचीन ग्रन्थ 'जैनाचार' में भी इस चमत्कार का उल्लेख है। तुलवदेश-यात्रा सम्बन्धी उसकी 26 वीं सन्धि में जो उल्लेख है, वह इस प्रकार है : “बंगवाडि के चैत्यालय में मंगलरत्नत्रय मन्दिर में शान्ति-सुख-प्रदाता श्री शान्तिनाथ तीर्थंकर की मूर्ति विराजमान है। उसकी शोभा अवर्णनीय है। इसी मन्दिर में पद्मप्रभ, सुपार्श्व और चन्द्रप्रभ भगवान की भी श्रेष्ठ व मनोज्ञ मूर्तियाँ हैं। बंगवाडि के पास ही अरण्य में श्रवणगुण्ड नामक स्थान है, जहाँ यक्ष ब्रह्मदेव की मूर्ति है। उसी के पास कुएँ में गोल पत्थर तैरता नजर आता है। इसे सब लोगों ने आँखों से प्रत्यक्ष देखा है। समस्त जगत् में यह एक अद्भुत घटना है।" कहा जाता है कि काल दोष के कारण या फिर ब्रह्मदेव की अप्रसन्नता के कारण कुछ वर्षों से यह पत्थर नहीं तैरता; हालांकि तैरने वाला पत्थर अब भी वहाँ पर चाँदी के कटोरे में सुरक्षित है। बेलूर अवस्थिति एवं मार्ग बेलूर (Bellur) धर्मस्थल से लगभग 135 कि. मी. दूर है। रास्ता इस प्रकार है- धर्मस्थलउजिरे (निकट से मोड़ के मंगलोर-चिक्कमंगलूर मुख्यमार्ग)- चारमाडि घाट-मूडिगेरेगोनिबिडु–बेलूर । इस मार्ग से इस तरफ की प्रमुख उपज कॉफी का बहुत यातायात होता है। इस कारण इस मार्ग को 'कॉफी मार्ग' भी कहा जाता है। वैसे यह मंगलोर-चिक्कमंगलूर मार्ग कहलाता है । मूडिगेरे से एक मार्ग चिक्कमंगलूर चला जाता है और दूसरा बेलूर । रास्ते में चारमाडि नामक घाट-मार्ग पड़ता है। बस बहुत ऊँची चढ़ती है। कहीं-कहीं खड़ी चढ़ाई है । रास्ते में 99 एच. पी. बेंड (खतरनाक, सम्भलकर चलने योग्य) मोड़ आते हैं। किन्तु हरियाली और पहाड़ी दृश्य अत्यन्त सुहावने लगते हैं। इस मार्ग से बड़ी बसें जा सकती हैं। जिस प्रकार आगुम्बे गाँव के कारण आगुम्बे घाटी कहलाती है, उसी प्रकार चारमाडि गाँव के कारण यह घाट-मार्ग 'चारमाडि घाट' कहलाता है। बेलूर से हासन 40 कि. मी. और वहाँ से बंगलोर 185 कि. मी. दूर है। बेलूर से श्रवणबेलगोल (हासन होते हुए) लगभग 90 कि. मी. दूर है । यहाँ से हलेबिड 17 कि. मी. दूर है और वहाँ से हासन 35 कि. मी.।। निकटतम रेलवे स्टेशन हासन है जो कि दक्षिण रेलवे मीटर गेज का एक जंक्शन है। बम्बई से बंगलोर मीटर गेज लाइन पर अरसीकेरे (Arsikere) से रेलगाड़ी हासन (Hassan) होते हुए मैसूर तक जाती है । वैसे अब बंगलोर से मंगलोर तक भी मीटरगेज की सीधी गाड़ी चल गई हैं किन्तु अभी बहुत कम गाड़ियाँ इस लाइन पर हैं और वह भी पेसेंजर गाड़ी ही हैं।
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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