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________________ 182 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) बंगर मंजेश्वर के जैन मन्दिर मंजेश्वर नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित हैं। यह नदी अरब सागर से जा मिलती है। इस स्थान का एक भाग मैदानी है तो दूसरा पहाड़ी । वर्तमान चतुर्मुख बसदि या चौमुखा एक छोटे टीले या पहाड़ी पर स्थित है। उसके चारों ओर ऊँची ल का घेरा है। इस घेरे के भी बाहर एक और घेरा है। उसमें से होकर अन्दर जाने के लिए जो रिक्त स्थान है उसमें से केवल एक ही व्यक्ति टेढ़ा होकर निकल सकता है। इस टीले के सामने नारियल के वृक्ष हैं और उनके बाद अरब सागर लहराता है मानो वह आदिनाथ का पादप्रक्षालन करना चाहता हो। चौमुखा मन्दिर छोटा है, उसका शिखर भी साधारण है। उसका जीर्णोद्धार भी हुआ है। मन्दिर एक और ऊँचे चबूतरे पर बना है और एक-मंजिला है। इसमें चारों दिशाओं में एक-एक तीर्थंकर प्रतिमाएँ हैं। ये तीर्थंकर हैं-आदिनाथ, शान्तिनाथ, चन्द्रनाथ और वर्धमान स्वामी। यहाँ पद्मावती की प्रतिमा भी है। इसके अहाते में क्षेत्रपाल और नागफलक भी हैं। मन्दिर यद्यपि प्राचीन है, तदपि इसमें महावीर और पार्श्वनाथ की कांस्य तथा पाषाण की अन्य सभी प्रतिमाओं की आज भी पूजन होती है। इस मन्दिर को तुलना, मूर्तियों के विन्यास की दृष्टि से, कारकल की चतुर्मुख बसदि से की जाती है। इस प्रकार यह तुलनाडु परम्परा का मन्दिर माना जाता है। कुछ विद्वान् इस मन्दिर को सोलहवीं शताब्दी का मानते हैं। इतिहास जो भी हो, इसका भूगोल ऐसा है कि इस टीले पर स्थित इस बसदि के पास समुद्र की शान्त और शीतल हवा से परम सुख का अनुभव होता है। जैन बसदि या छ इसी स्थान पर एक और जैन बसदि या मठ है। यहाँ के जैन परिवार (कुल दो) इसे छोटा चौमुखा भी कहते हैं । यह कितना प्राचीन है, यह किसी को नहीं मालूम । इसके रक्षक-अर्चक इसे दो सौ वर्ष प्राचीन बताते हैं। किन्तु यह और भी प्राचीन हो सकता है। वैसे यह चौमुखा भी नहीं है। शायद चौमुखे (बड़े मन्दिर) से अन्तर बताने के लिए इसे छोटा चौमुखा कह दिया गया है। वास्तव में यह छोटा मन्दिर है। ... पहिचान के लिए यह आजकल मंजेश्वर बीड़ी वर्क्स कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (केरल दिनेश बीड़ी) के पक्के आधुनिक भवन के पास में स्थित है। आसपास मुस्लिम आबादी है । जैन बसदि कहना हो तो जैन के 'ऐ' पर जोर देकर बोलना चाहिए। यह बसदि एक मंज़िल बसदि है। उस पर कोई शिखर नहीं है। बाहर से मालूम ही नहीं होता कि यहाँ भी कोई मन्दिर होगा। इससे पहले मन्दिर को लगभग ओझल किए हुए (बीच की बरामदानुमा जगह छोड़कर) एक मकान लम्बाई में है, जिसमें इसका रक्षक या अर्चक परिवार रहता है। ____उपर्युक्त मन्दिर में जाने के लिए अहाते जैसी स्थानीय लाल पत्थर की दीवाल में, जो खाली जगह है उसमें, से एक आदमी टेढ़ा होकर मुश्किल से अन्दर जा सकता है। मन्दिर के सामने बलिपीठ है। अहाते में एक क्षेत्रपाल है। एक साधारण मकान जैसे इस मन्दिर में सुन्दर
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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