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________________ मंगलोर | 179 मंगलोर अवस्थिति एवं मार्ग ___ छोटे किन्तु धार्मिक अथवा कला की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थानों को देखते-देखते पर्यटक या यात्री का जी करता है कि कर्नाटक के बड़े शहर और वहाँ की चहल-पहल भी वह देख ले तो यात्रा एकांगी नहीं रहेगी। और यदि वहाँ पहाड़ियों या सागर की भी छटा होतो और भी सुन्दर। इस इच्छा की पूर्ति होती है मंगलोर की यात्रा करके। और वह है भी तो मूडबिद्री से केवल 37 कि. मी. दूर, जहाँ पहुँचने के लिए मूडबिद्री से हर आधे घण्टे पर बस मिलती है। यहाँ से वेणूर 54 कि. मी. और धर्मस्थल 75 कि. मी. है। जहाँ तक रेल का प्रश्न है, दिल्ली से मंगलोर एक्सप्रेस (पुराना नाम जयन्ती जनता) और केरल एक्सप्रेस (उसका एक-भाग) यहाँ पहुँचती हैं। गोरखपुर-कोचीन का भी एक भाग यहाँ आता है। मद्रास से वेस्ट कोस्ट एक्सप्रेस, मद्रास-मंगलोर-एक्सप्रेस मंगलोर आती हैं । त्रिवेन्द्रम के लिए मलाबार एक्सप्रेस (त्रिवेन्द्रम-मंगलोर), तथा त्रिवेन्द्रम-मंगलोर परशुराम एक्सप्रेस तथा अनेक पेसेंजर गाड़ियाँ एवं बंगलोर-मंगलोर पेसेंजर यहाँ आती हैं। इस प्रकार यह शहर दिल्ली, मद्रास, बम्बई (जनता एक्सप्रेस कालीकट तक), त्रिवेन्द्रम और कन्याकुमारी से सीधा जुड़ा हुआ है। बम्बई से अनेक आरामदेह बसें भी यहाँ आती हैं । अन्य शहरों से भी (जैसे बंगलोर, मैसूर आदि से) यह बसों द्वारा सीधा जुड़ा हुआ है। " मंगलोर जहाजों के लिए एक बंदरगाह है । यहाँ हवाई अड्डा भी है। यहाँ बम्बई और बंगलोर से सीधी उड़ाने आती हैं। इस नगर का नाम बदलता रहा है । कभी यह मंडगोर (Mandegora), मगनूर (Maganur), तो कभी मंगलादेवी के मन्दिर के कारण मंगलपुर भी कहलाता रहा है। समुद्र के किनारे स्थित इस नगर में भी जैनधर्म का प्रभाव मध्ययुग से तो कम-से-कम रहा ही है। कर्नाटक सरकार द्वारा प्रकाशित दक्षिण कन्नड़ (South Kanara) जिला गजेटियर, 1973 में इस तथ्य का उल्लेख इस प्रकार है "Most of the dynasties that ruled over the region successively from about the fourteenth century A.D. right upto the beginning of the British period where Jaina and Jaina monuments were developed under royal patronage.” अर्थात् चौदहवीं शताब्दी से ब्रिटिश शासन के प्रारम्भ तक अधिकतर जिन राजवंशों ने उत्तरोत्तर राज्य किया वे जैन थे और उन्होंने यहाँ के स्मारकों-बसदियों को संरक्षण दिया। . प्राचीन दिगम्बर जैन मन्दिर मंगलोर में एम. टी. रोड (मेन टेम्पल रोड) से कुछ आगे एक दिगम्बर जैन मन्दिर है। यह पुराने बंदरगाह क्षेत्र में है। वहाँ पहुँचने का मार्ग इस प्रकार है। (रेलवे स्टेशन से बसस्टैण्ड)-बस स्टैण्ड से घण्टाघर (क्लॉक टॉवर)-टाउन हॉल-सेंट्रल टॉकीज़ के पीछे बीबी
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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