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________________ वेणूर | 173 मठ का पता इस प्रकार है श्री दिगम्बर जैनमठ, पो. मूडबिद्री (Mudabidri) पिन-574227 जिला-मंगलोर (Mangrlore), कर्नाटक विशेष सूचना वरंग, कारकल, वेणूर में धर्मशालाओं की स्थिति अच्छी नहीं है । मंगलोर में भी धर्मशाला नहीं है। मंगलोर से 27 किलोमीटर दूर बंगर मंजेश्वरम् (केरल) के दो मन्दिर भी देखने योग्य हैं। इन पाँच स्थानों के लिए मडबिद्री को केन्द्र बनाना चाहिए। मडबिद्री से सूबह ही कोई बस से भी निकल जाएँ (कारकल होते हुए) तो सबसे पहले वरंग का जलमन्दिर आदि देखकर, कारकल की 42 फुट ऊँची बाहुबली की मूर्ति और चतुर्मुख बसदि आदि सभी मन्दिर देखकर मूडबिद्री वापस आ सकते हैं। इसी प्रकार वेणूर की विशाल गोम्मट मूर्ति और शान्तिनाथ वसदि आदि देखकर उसी दिन वापस आया जा सकता है। ठहरने की उत्तम सुविधा की दृष्टि से वेणूर की यात्रा धर्मस्थल से भी आसान है। मंगलोर का एक मन्दिर और मंगलोर शहर देखकर रेल या बस (बस अधिक सुविधाजनक) द्वारा केरल राज्य के बंगर मंजेश्वर की प्राचीन चतुर्मुख बसदि और एक अन्य जैन मन्दिर देखकर उसी दिन मंगलोर वापस आ सकते हैं । इतनी सुविधा मंगलोर और मूडबिद्री के बीच बसों की है। मूडबिद्री में हिन्दी से काम चल जाता है। वेणूर अवस्थिति एवं मार्ग ___ मंगलोर (या दक्षिण कन्नड़) जिले के बेलतंगडी तालुक के अन्तर्गत वेगूर (Venuru) गाँव है । मूडबिद्री से यह सड़क-मार्ग द्वारा 20 किलोमीटर, धर्मस्थल से (गुरुवायनकरे होते हुए) 32 कि. मी. तथा मंगलोर से 52 कि. मी. है । वेणूर से राजकीय मुख्यमार्ग पर स्थित गुरुवायनकेरे केवल 15 कि. मी. है। रेलवे स्टेशन मंगलोर ही सबसे प्रमुख है। मूडबिद्री से वेणूर जाते समय मार्ग बड़ा रमणीक है । बीच में कुछ गाँव पड़ते हैं। वहाँ के जैन बन्धओं ने सड़क पर 'पार्श्व मन्दिर' और 'पुष्पदन्त मन्दिर' आदि के सचनापट लगा रखे हैं। अपने वाहन से यात्रा करने वाले इन्हें भी देख सकते हैं और अपने साधर्मी बन्धुओं का परिचय पाकर उनका उत्साह बढ़ा सकते हैं। इस स्थान का प्राचीन नाम एनूर था जो कि यहाँ के शिलालेख में उत्कीर्ण है। अब यह
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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