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________________ मूडबिद्री / 159 मूडबिद्री अँग्रेज़ी नक्शों में इस स्थान के नाम Mudabidri तथा Mudabidre दोनों दिए गए हैं। क्षेत्र की परिचय - पुस्तक में Mudabidre है जो नक्शों में नहीं मिलेगा । इस स्थान का सरकार द्वारा मान्य एवं प्रचलित वास्तविक नाम मूडबिद्री ही है । किन्तु उच्चारण-विभिन्नता के कारण लोग इसे 'मूलबद्री' (उत्तर एवं मध्य भारत के लोग यह नाम अधिक जानते हैं) तथा 'मूलबिद्री' या 'मूडबद्री' भी कह जाते हैं। धार्मिक निष्ठावान कुछ लोग श्रवणबेलगोल को जैनबद्री तथा मूडबिद्री को 'मूलबद्री' तथा 'जैन काशी' भी कहते हैं । शिलालेखों में इस स्थान को 'वेणुपुर' या 'वंशपुर' तथा 'व्रतपुर' कहा गया है। किसी समय यहाँ बाँसों का घना जंगल रहा होगा इसलिए वंश (बाँस) पुर कहलाया । वेणु का अर्थ बाँस होता है । यहाँ अनेक साधु- व्रती लोगों का किसी समय निवास होने के कारण इसे 'व्रतपुर' भी कहा गया । sa दो शब्दों के योग से बना है। मुड (पूर्व ) और बिदिरु (बाँस) अर्थात् वह स्थान जो मंगलोर आदि बंदरगाहों के पूर्व में है और जहाँ बाँस के वन हैं । मूवी एक छोटा किन्तु प्रसिद्ध स्थान है । यह कारकल तालुक (तहसील) और मंगलोर ज़िले के अन्तर्गत है । यह जिला पहले दक्षिण कन्नड़ ज़िला कहलाता था किन्तु अब यह मंगलोर ज़िला कहलाता है । अवस्थिति एवं मार्ग कारकल से मूडबिद्री केवल 26 कि. मी. दूर है । वेणूर से लगभग 25 कि. मी. और मंगलोर से 37 कि.मी. की दूरी पर यह स्थान है। मूडबिद्री के लिए बसों का सबसे अच्छा साधन मंगलोर से है । वहाँ से लगभग हर आधे घण्टे पर बस यहाँ आती है । जैन मठ बस स्टैण्ड से एक कि.मी. दूर है। आने-जाने का साधन टैक्सी और ऑटो-रिक्शा है । बंगलोर से मंगलोर मुख्य मार्ग यहीं से होकर जाता है । इसलिए बंगलोर (391 कि.मी.) और मैसूर (326 कि.मी.) से भी यह स्थान सीधा जुड़ा हुआ है | श्रवणबेलगोल से यहाँ सीधे आने के लिए 'चन्नरायपट्टण' (श्रवणबेलगोल से 13 कि.मी.) या हासन ( श्रवणबेलगोल से 51 कि.मी.) से बस-मार्ग है । बम्बई से मंगलोर की कुल दूरी 936 कि.मी है और इसके लिए बहुत सी आरामTE बसें बम्बई और मंगलोर आती-जाती हैं । निकटतम हवाई अड्डा और बंदरगाह मंगलोर है । सबसे पास का रेलवे स्टेशन भी मंगलोर ही है। दिल्ली से मंगलोर तक मंगलोर एक्सप्रेस ( जयंती जनता) तथा केरल एक्सप्रेस लगभग प्रतिदिन यहाँ आती हैं । मद्रास से भी मंगलोर तक सीधी गाड़ियाँ हैं । sa लुना प्रदेश में स्थित है । तुलु एक बोली का नाम है और नाडु का अर्थ ज़िला होता है । यह भूभाग अपनी हरियाली, प्राकृतिक पहाड़ी सौन्दर्य, काजू, , नारियल आदि के लिए भी प्रसिद्ध है । सह्याद्रि पर्वत को कृपा से यहाँ वर्षा भो अच्छी होती है और जलवायु
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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