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________________ 138 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) की धातु-प्रतिमाएँ हैं। मन्दिर की छत ढलुआ है । मेगुन्द (Megund) यहाँ छोटी शान्तिनाथ बसदि है । उसकी भी ढलुआ छत पर कवेलू (टाइत्स) लगे हैं। मन्दिर में शान्तिनाथ की पद्मासन प्रतिमा, घुटनों तक अंकित यक्ष-यक्षी सहित है । मकर-तोरण भी उत्कीर्ण है। हन्तूरु (Hanturu) ____ मूडुगेरे के इस स्थान से प्राप्त शिलालेख के अनुसार, त्रिभुवनमल्ल कुमार बल्लालदेव की बड़ी बहिन सम्यक्त्व-चूड़ामणि हरियब्बरसि ने 'कोडंगिनाड मलेवडि' में स्थित हन्तूरु में रत्नखचित व मणिकलश से युक्त उत्तुंग चैत्यालय का निर्माण कराके उसमें पार्श्वनाथ की मूर्ति प्रतिष्ठित कराई थी। मन्दिर तो होयसल शासकों से दान मिला था। यह मन्दिर 1052 ई. में सिद्धान्तदेव को देखभाल के लिए सौंप दिया गया था। मत्तावर (Mattavar) ___ इस स्थान के शिलालेख का कथन है कि एक बार होयसल राजा विनयादित्य इस गाँव में आये। ग्रामवासी उन्हें दर्शन के लिए पहाड़ के मन्दिर पर ले गये । इस पर राजा ने ग्राम में मन्दिर नहीं होने का कारण पूछा। माणिक्य शेट्टी ने इसका कारण धन का अभाव बताया। इस पर राजा ने अपने कोष से धन देकर 1069 ई. में यहाँ पार्श्वनाथ मन्दिर का निर्माण कराया। इसमें अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने समाधिमरण किया जिनमें सबसे प्रमुख थी जक्कब्बा। श्रृंगेरी यह स्थान नरसिंहराजपुर के समीप ही है। रास्ता कोप्पा-बालेहन्नूर होकर है । आज हिन्दू समाज में इस स्थान की प्रतिष्ठा शंकराचार्य मठ के कारण है। किन्तु यह किसी समय जैनों का गढ़ था, यह बहुत कम लोगों को ज्ञात है। यहाँ के विद्याशंकर मन्दिर के बाहर की ओर आलों में दिगम्बर मूर्तियों का सुन्दर उत्कीर्णन है-धर्मों के सह-अस्तित्व का का प्राचीन प्रमाण । यह मन्दिर चौदहवीं शताब्दी का माना जाता है। नेशनल बुक ट्रस्ट ने श्री न. स. रामचन्द्रया द्वारा लिखित तथा श्री सुमंगल प्रकाश द्वारा हिन्दी में अनूदित एक पुस्तक 1973 में प्रकाशित की है। उसके 144-45 पृष्ठों पर व्यक्त विचार एवं जानकारी यहाँ उद्धृत करना प्रासंगिक होगा "तुंग के बायें तट पर अवस्थित शृंगेरी चिक्कमगलूरु जिले में पड़ता है। यह नाम ऋष्यशृंग गिरि का एक लोक-प्रचलित रूप है। शंकर के आविर्भाव-काल से पूर्व ही यह स्थान
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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