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________________ 94 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) देते हैं। इस मन्दिर में दसवीं शताब्दी से लेकर सोलहवीं शताब्दी की मूर्तियाँ हैं । ग्यारहवीं सदी की पाँच फुट ऊँची कायोत्सर्ग मृति शान्तिनाथ की है। उस पर छत्रत्रयी और मकरतोरण हैं। यक्ष-यक्षी भी आसन पर अंकित हैं । शान्तिनाथ की यह मूर्ति काले पाषाण की है और वह केन्द्रीय गर्भगृह में विराजमान है। गर्भगृह के प्रवेशद्वार के सिरदल पर पद्मासन में तीर्थकर मूर्ति उत्कीर्ण है। उसके ऊपर भी कायोत्सर्ग मुद्रा में एवं पद्मासन में तीर्थंकर मूर्तियाँ हैं । गर्भगृह में प्रवेश के लिए चन्द्रशिला है। उसके द्वार को चोखटो पर नर-नारी (शायद भक्त) और यक्ष का अकन है। एक नागफलक भी है । बाएँ कायोत्सर्ग एवं पद्मासन में पार्श्वनाथ की मूर्तियाँ हैं । नेमिनाथ की दसवीं सदी की प्रतिमा अर्धपद्मासन में है। दो-तीन अन्य तीर्थंकर प्रतिमाएँ भी हैं जो दसवीं ग्यारहवीं और पन्द्रहवीं शताब्दी की हैं। उपर्युक्त मन्दिर में पंच बालयति (अर्थात् वे पाँच तीर्थकर जिनका विवाह नहीं हुआ था) की मनोज्ञ प्रतिमाएँ एक ही फलक पर हैं। इसका समय 12वीं सदी अनुमानित है। ये ती कायोत्सर्ग मद्रा में हैं। बीच की प्रतिमा बडी है। शेष तीर्थंकर उसके कन्धों तक हैं। मस्तक के दोनों ओर चँवर एवं लताएँ हैं । यहाँ पार्श्वनाथ की 16वीं सदी की, और इसी सदी की ललितासन में पद्मावती की मूर्तियाँ भी हैं। मन्दिर के भीतर पाषाण-स्तम्भों से युक्त एक खुला मण्डप है। उसके अगले दो छोरों पर दो देवकुलिकाएँ हैं जिनमें प्रतिमाएँ विराजमान हैं। इस कारण यहाँ तीन शिखर दिखाई पड़ते हैं। चन्द्रप्रभ मन्दिर-दिगम्बर जैन बोडिंग में चन्द्रप्रभ मन्दिर है। उसमें चन्द्रप्रभ के अतिरिक्त पार्श्वनाथ की पीतल की दो कायोत्सर्ग प्रतिमाएँ भी हैं। हरे पाषाण की भी एक तीर्थंकर मूर्ति है। पद्मावती की भी दो प्रतिमाएँ है । मन्दिर छोटा है। हुबली रेलवे-स्टेशन से यह बोर्डिंग लगभग एक किलोमीटर है और बस-स्टैण्ड से लगभग दो किलोमीटर । यह स्टेशन-रोड पर अवस्थित है। इसमें कॉलेज के छात्र रहते हैं किन्तु स्थान होने पर यात्रियों को भी ठहरा लिया जाता है। यात्रियों के लिए यहाँ एक कमरा और एक हॉल है। बोर्डिंग हाउस दक्षिण भारत जैन सभा, सांगली के अधीन है। इसी के साथ ही बाज़ार क्षेत्र संस्थाएँ यहाँ की अन्य संस्थाएँ हैं—महावीर ट्रस्ट का हाई स्कूल, महावीर एज्युकेशन सोसाइटी का आई. टी. आई., तथा वर्धमान सहकारी बैंक । . यह भी सूचना है कि यहाँ के शान्तिनाथ जैन ट्रस्ट द्वारा एक धर्मशाला का निर्माण किया जाएगा। फिलहाल बोडिंग हाउस में ठहरने की जगह मिल सकने की ही सम्भाव (मुख्य सड़क पर बोडिंग का बोर्ड लगा है। बोडिंग कुछ अन्दर की तरफ है) अन्यथा स्टेशन के बाहर स्टेशन रोड पर अच्छे होटल भी हैं। स्टेशन पर भी रिटायरिंग रूम उपलब्ध हैं। कर्नाटक में हुबली तक तो हिन्दी और मराठी से काम चल जाता है। आगे कन्नड़ का अधिक प्रचार है किन्तु हिन्दी समझने और बोलने वाले मिल जाते हैं।
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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