SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 136
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 86 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) खुले प्रांगण में अनेक जैन मूर्तियाँ आदि हैं। हॉल में एक तीर्थंकर मूर्ति पद्मासन में है, दो वरधारी आसपास हैं जो कि सिर से ऊपर छत्रत्रय तक खड़े दिखाये गए हैं । कायोत्सर्ग मुद्रा में पाँच फणों से युक्त सुपार्श्वनाथ की मूर्ति के ऊपर भी (पणों के ऊपर) पद्मासन में तीर्थंकर विराजमान हैं । दो-तीन नागफलक भी यहाँ हैं । यहाँ एक 'थाली - शिला' है जिसमें कटोरियाँ न हैं। खुले प्रांगण में मुख्य रूप से बाहुबली की खण्डित मूर्ति, कमल में चरण और एक शिला में दो जोड़ी चरण आदि हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं । संग्रहालय के तीनों ओर ढेर सारी मूर्तियाँ हैं । उसके भण्डार में भी मूर्तियों का एक बड़ा संग्रह है। और अब हम्पी के महल क्षेत्र की ओर । कमलापुर के पुलिस स्टेशन और सार्वजनिक निर्माण विभाग के निरीक्षण बंगला के सामने एक स्तम्भ पर लिखा है- हम्पी 4 कि. मी. । वहीं ‘Welcome Hampi Pampa Kshetra' का बोर्ड लगा है । यहीं से महल क्षेत्र का पर्यटन प्रारम्भ होता है । इस यात्रा में सबसे पहले चन्द्रशेखर मन्दिर आता है । इस मन्दिर से भी एक पगडण्डी गानिगित्ति मन्दिर की ओर जाती है । चन्द्रशेखर मन्दिर से थोड़ी-सी दूरी पर अष्टकोण स्नानागार ( Octagonal bath ) है । यह ध्वस्त अवस्था में है । उपर्युक्त स्नानागार से वापस लौटने पर 'चन्द्रशेखर मन्दिर' के पास एक चौकोर 'जलशिखर' (Water tower) है । सम्भवत: यहाँ से विजयनगर के लिए जल की पूर्ति की जाती हो । 3. रानी स्नानागार - शिखर के बाद हम 'रानी स्नानागार' ( Queen's bath) पहुँचते हैं । यह स्नानागार या 'स्वीमिंग पूल' 50 फीट लम्बा और 6 फीट गहरा है । इसमें सजावटपूर्ण गलियारे और छज्जे हैं। बाहर से यह राजस्थानी हवेली जैसा दिखाई देता है । 4. पत्थर की नहरें - स्नानागार तक पहुँचते-पहुँचते पर्यटक को क़िले की दीवारों के अवशेष दिखाई देते हैं । आश्चर्य होता है कि लगभग तीन फीट मोटी और चार फीट ऊँची लम्बी-लम्बी शिलाओं को किस प्रकार यहाँ लाया और जमाया गया होगा । कभी-कभी ऐसा आभास होता है कि शायद बिना मसाले के ही इन्हें एक-दूसरे पर रच दिया गया था । फिर उससे भी अधिक इंजीनियरिंग की सूचक हैं पत्थर की नहरें और 'बहते झरने' । ये नहरें आवश्यकतानुसार पाषाण-स्तम्भों के ऊपर से ले जाई गई हैं । विजयनगर साम्राज्य के युग इस शहर में इन नहरों का जाल बिछा था। उनसे पेय पानी, सिंचाई का पानी, स्नानागारों का पानी आदि प्राप्त होता था । होसपेट से कमलापुर के रास्ते में अब भी ऐसी नहरें दिखाई दे जाती हैं । कमलापुर से पहले एक तालाब है । उसमें भी इन नहरों से पानी पहुँचाया गया है । यही कारण है कि यहाँ चावल, गन्ना और अन्य प्रकार की हरियाली या उपज अब भी होती है । उस युग में नीबू और संतरों का भी उत्पादन खूब होता था । 5. खुदाई स्थल - पुरातत्त्व विभाग की ओर से इस स्थान के पास खुदाई की जा रही है । अभी कुछ ही समय पूर्व, यहाँ एक बावड़ी निकली थी जिसमें सुन्दर कलाकारी युक्त सीढ़ियाँ निकली हैं । खुदाई काफी विस्तृत क्षेत्र में हो रही है । महानवमी डिब्बा तथा महल क्षेत्र के पास जो खुदाई हो रही है उसमें बहुत प्राचीन अवशेष प्राप्त हुए हैं। दूसरी शताब्दी ई. का एक
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy