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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ
कलेके दक्षिण मुखी पिछले फाटकको मोरी दरवाजा कहते हैं । मोरी दरवाजेके सामने पूर्व में नदीत सुन्दर उद्यान बना हुआ है। इसमें भगवान् महावीर निर्वाणोत्सव वर्षमें ३३ फुट ऊँचा कीर्तिस्तम्भ मकरानेका निर्माण किया जा रहा है । पूर्वकी ओर एक छतरीमें चरण चिह्न बने हुए हैं । कहा जाता है कि भगवान् महावीरकी मूर्ति यहीं टीलेसे उत्खनन द्वारा निकली थी जहाँ अब चरण-चिह्न स्थापित हैं । जिस ग्वालेने यह मूर्ति निकाली थी, उसीके वंशधर इन चरणोंमें चढ़ाये हुए चढ़ावे सामग्री आदिको लेते हैं ।
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कलेके बाहर पश्चिम की ओर क्षेत्रकी ओरसे संचालित औषधालय है । इस औषधालयके पश्चिम में एलोपैथिक डिस्पेन्सरी है ।
कलेके बाहर बाजार है जहाँ आवश्यकताकी हर एक वस्तु मिलती है। बाजारकी दुकानों पर आवासीय कमरे बने हुए हैं। मन्दिरके मुख्य द्वारके बगल में पोस्ट ऑफिस और तारघर है । क्षेत्रपर टेलीफोनकी भी सुविधा है । यहाँ एक छोटा सा पार्क भी है। क्षेत्रपर निम्न धर्मशालाएँ अवस्थित हैं ।
१. धर्मशाला नम्बर तीन ।
२. दि. जैन जैसवालान धर्मशाला ।
३. सेठ बधीचन्दजीकी धर्मशाला ।
४. रेवाडीवालोंकी धर्मशाला ।
५. सेठ बनजीलालजी ठोलिया जयपुरवालों की धर्मशाला ।
६. देहलीवाले लाला सन्तलालजी गोधाकी धर्मशाला ।
क्षेत्रपर कटला एवं अन्य धर्मशालाओंमें आधुनिक सुविधायुक्त कमरे हैं । इन धर्मशालाओं और कटलेमें लगभग पाँच हजार व्यक्ति एक साथ ठहर सकते हैं ।
क्षेत्रपर स्थित संस्थाएं
क्षेत्रपर अन्य कई सेवाभावी संस्थाएँ हैं । १ मन्दिरके पश्चिम की ओर लगभग एक फर्लांग दूर कृष्णाबाई द्वारा संचालित महिला विद्यालय है जिसमें एक विशाल मन्दिर है । २. मन्दिरसे पूर्व की ओर नदीकी तरफ आदर्श महिला विद्यालय है । इसमें हाई स्कूल तककी शिक्षा दी जाती है । क्षेत्र और समाजके सहयोगसे आश्रमका विशाल भवन निर्मित हो चुका है । वर्तमान में इसमें ५०० बालिकाएँ अध्ययन करती हैं । इस संस्थाकी इस जिलेकी प्रमुख संस्थाओं में गिनती है । इसकी संचालिका ब्र. कमलाबाईजी हैं । ३. शान्ति वीरनगर - यह नदीके दूसरी ओर पूर्वी किनारेपर स्थित है। इसकी स्थापना स्व० आचार्य शिवसागरजीकी प्रेरणासे आचार्य शान्तिसागरजी और आचार्य वीरसागरजीके नामपर की गयी है । यहाँ अट्ठाईस फीट ऊँची शान्तिनाथ स्वामीकी विशाल मूर्तिके अतिरिक्त २४ तीर्थंकरों और उनके शासन देवताओंकी मूर्तियां विराजमान हैं । मन्दिरके समक्ष मानस्तम्भ बना हुआ है। मन्दिरके एक ओर शान्ति वीर जैन गुरुकुल है । इसमें छोटे बालकोंके निवास और शिक्षणकी व्यवस्था है । इसके सामने ही क्षेत्रसे सम्बन्धित कीर्ति आश्रम है जहाँ एक चैत्यालय है जिसकी स्थापना ब्र० कोर्तिलालजीने करायी थी ।
स्टेशन श्रीमहावीरजीपर धर्मशाला में क्षेत्रकी ओरसे प्राइमरी स्कूल चल रहा । क्षेत्रपर राज्य सरकारकी ओरसे सेकेण्डरी हाईस्कूल है । इस प्रकार बालक-बालिकाओंके लिए इस तीथंस्थानपर शिक्षा के लिए समुचित व्यवस्था है ।