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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थं
श्री आदिनाथ स्वामी दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र है । इसमें आदिनाथ भगवान्की श्याम वर्ण पद्मासन प्रतिमा अत्यन्त अतिशययुक्त है । यह प्रतिमा जमीनसे निकली थी। इसके निकलने की कहानी श्री महावीरजीकी कहानीकी तरह है । अब भी अभिषेकके लिए जो दूध आता है, उसमें यदि ग्वाला पानी मिला दे तो पशुके थनसे खून निकलने लगता है, ऐसी अनुश्रुति है । यहाँ मनोती मनाने अनेक लोग आते हैं । ठहरने के लिए धर्मशाला बनी है ।
मुक्तागिरि - भातकुली से अमरावती वापस आकर वहाँसे बस द्वारा परतवाड़ा (अचलगढ़ ) ५२ कि. मी. तथा परतवाड़ासे खरपी होकर मुक्तागिरि १३ कि. मी. है। परतवाड़ासे स्कूटर या रिक्शेसे ही क्षेत्र तक पहुँच सकते हैं । यद्यपि खरपी परतवाड़ासे वैतूल रोडपर ६ कि. मी. है और वहाँ तक बस मिलती है किन्तु ७ कि. मी. के लिए बस नहीं मिलती । ७ कि. मी. मेंसे ४ कि. मी. महाराष्ट्र में है और ३ कि. मी. मध्यप्रदेश में है ।
यह क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दयंसे अत्यन्त सम्पन्न है । ऊपर पर्वतपर बड़ी ऊंचाईसे जल-प्रपात होता है । कहते हैं, यह वही स्थान है, जहाँसे ( शास्त्रानुसार ) मेढ़ा मुनिके पास जा गिरा था । मुनिने उसे णमोकार मन्त्र सुनाया । मेढ़ा निर्मल परिणामोंसे मरकर स्वर्ग में देव बना । जहाँ मुनि ध्यान में लीन थे, उस स्थानपर १००० वर्षं प्राचीन ऐलनरेश श्रीपाल द्वारा निर्मित गुहामन्दिर बना हुआ है । प्रपात नालेके दोनों ओर ५३ जिनालय बने हुए हैं। जिनालयोंकी यह पंक्ति बड़ी भव्य लगती है ।
श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर (क्रमांक २६ ) यहाँका बड़ा मन्दिर कहलाता है । इसमें भगवान् पार्श्वनाथकी सवा चार फीट ऊँची कृष्णवणं पद्मासन प्रतिमा मूलनायक है । क्रमांक ४८ भुयारा मन्दिर है । इसमें शान्तिनाथ और कुन्थुनाथकी लगभग ७ फीटको खड्गासन मूर्तियां हैं।
तलहटी में आदिनाथ और महावीर नामक दो मन्दिर हैं । मन्दिरोंके दोनों ओर धर्मशालाएँ हैं ।
यह सिद्धक्षेत्र है । यहाँसे साढ़े तीन कोटि मुनि मुक्त हुए हैं।
रामटेक - मुक्तागिरिसे परतवाड़ा - वहाँसे अमरावती आकर वहाँसे १८४ कि. मी. बस द्वारा अथवा अमरावतीसे बड़नेरा और वहाँसे नागपुर तक रेल द्वारा जाना पड़ता है। नागपुर में इतवारी मुहल्ले में दिगम्बर जैन धर्मशाला है । नागपुरसे रामटेकके लिए बस और ट्रेन दोनों चलती हैं। दूरी ४८ कि. मी. है।
बस स्टैण्डसे लगभग २ कि. मी. दूर श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र है । एक अहाते के अन्दर १५ जिनालय बने हुए हैं। मुख्य मन्दिर शान्तिनाथ भगवान् का है । शान्तिनाथ भगवान्की बादाम वर्णकी १३ फीट ५ इंच ऊँची खड्गासन प्रतिमा है । प्रतिमा बड़ी भव्य है । चरण-चौकी जमीन के अन्दर है ।
यह रामटेक वही स्थान है, जहाँके सुरम्य वनोंका सन्दर्भ महाकवि कालिदासके प्रसिद्ध खण्ड काव्य 'मेघदूत' में मिलता है । सरकारने यहाँ पहाड़पर कालिदास - स्मारक भी बना दिया है ।
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