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________________ परिशिष्ट-१ ३४१ तालनपुर बड़वानीसे कुक्षि २२ कि. मी. है तथा वहाँसे तालनपुर ५ कि. मी. है। पक्की सड़क है। नियमित बस सेवा है। यह एक अतिशय-क्षेत्र कहलाता है। यहाँ एक खेतमें १३ मूर्तियां भूगर्भसे प्राप्त हुई थीं। परस्पर विवाद होनेपर ८ छोटी मूर्तियां श्वेताम्बरोंने ले ली और ५ बड़ी मूर्तियां दिगम्बर समाजने लीं। दोनोंके पास-पास मन्दिर हैं। दिगम्बर जैन धर्मशाला भी है। जल और प्रकाशको समुचित व्यवस्था है। इस क्षेत्रका पता है-मन्त्री, श्री दिगम्बर जैन अतिशय-क्षेत्र तालनपुर, पो. कुक्षि ( जिला धार) म. प्र.। पावागिरि बड़वानीसे बस द्वारा जुलवानिया होकर ऊन उतरना चाहिए। सड़क किनारे ही क्षेत्रकी विशाल धर्मशाला और जिनालय है। यहाँसे दो फलांग दूर ग्वालेश्वर या शान्तिनाथ मन्दिर है । यही निर्वाण-स्थान है जहाँसे स्वर्गभद्र आदि चार मनि मक्त हुए हैं। इसलिए यह निर्वाण-क्षेत्र कहलाता है। यहाँ तीन मन्दिर हैं। ग्वालेश्वर मन्दिरसे लौटते समय पंच पहाड़ी नामक एक टीला है जहां पांच लघु मन्दिर हैं। ऊन नगरमें ११वीं-१२वीं शताब्दीके मन्दिर और मूर्तियां मिलती हैं, जिनमें चौबारा डेरा नं. १ और नं. २ उल्लेख योग्य हैं। यहां धर्मशाला बहुत बड़ी है। नल, बिजली, विद्युत् आदिकी सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं । यहाँका पता है-मन्त्री, श्री दिगम्बर जैन पावागिरि सिद्धक्षेत्र, पो. ऊन, जि.-खरगौन ( पश्चिम निमाड़) म.प्र.। सिद्धवरकूट ऊनसे खरगौन होते हुए सनावाद और वहाँसे मान्धाता जाना चाहिए। ऊनसे मान्धाता ८८ कि. मी. है। पक्की सड़क है। मान्धातामें क्षेत्रकी धर्मशाला है। वहाँके मैनेजरसे नाव भाड़े आदिकी पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए। धर्मशालासे चलकर नर्मदा नदीपर आकर नाव द्वारा सिद्धवरकूट क्षेत्र जाना चाहिए। यहां नर्मदा और कावेरी नदियोंका संगम हुआ है। कावेरीकी एक धारा अलग हो गयी है और दोनों नदियोंके मध्य पर्वत आ गया है। इसीपर वैष्णवोंका ओंकारेश्वर तीर्थ है। बड़वाहासे सिद्धवरकूट क्षेत्र तक फेअर वैदर रोड है। १९ कि. मी. मार्ग है। इस मार्गपर नर्मदा पड़ती है। सिद्धवरकूट सिद्ध-क्षेत्र है। यहाँसे २ चक्रवर्ती, १० कामदेव और साढ़े तीन करोड़ मुनि मुक्त हुए हैं। यहां एक ही स्थानपर १० जिनालय हैं। क्षेत्रपर १४ धर्मशालाएँ हैं । नल, बिजली, बरतन आदिको सम्पूर्ण सुविधा सुलभ है। यहांका मेला फागुन सुदी १३ से १५ तक होता है। यहांका पता-मन्त्री, श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र सिद्धवरकूट, पो. मान्धाता (ओंकारेश्वर ), जिला पूर्व निमाड़ म. प्र.। बनैडिया सिद्धवरकूटसे लौटकर मान्धाता आना चाहिए। यहाँसे इन्दौर ७७ कि. मी. है। पक्की सड़क है । नियमित बस सेवा है। इन्दौरसे देवालपुर होकर बनैडिया क्षेत्र ४५ कि. मी, है । बसें जाती हैं। यह एक अतिशय-क्षेत्र है। यहाँका वार्षिक मेला चैत सुदी १३ से १५ तक होता है। । यहांका पता है-मन्त्री, श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, बनैड़िया, (जिला इन्दौर ) म. प्र.।
SR No.090098
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1976
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size19 MB
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