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मध्यप्रदेश : पृष्ठभूमि और कला
मध्यप्रदेश : स्थिति
मध्यप्रदेश भारतके मध्यमें अवस्थित है। स्वतन्त्रता प्राप्तिसे पूर्व यह प्रदेश अनेक छोटीबड़ी रियासतोंमें बँटा हुआ था। किन्तु स्वतन्त्रताके पश्चात् रियासतोंका भारतमें विलीनीकरण हुआ और यह प्रदेश मध्यप्रदेश, विन्ध्यप्रदेश और मध्यभारत इन तीन प्रदेशोंके रूपमें उभरा। यह प्रयोग अधिक समय तक नहीं चल पाया। इस प्रयोगमें जनताकी आकांक्षाओंके पूर्ण करनेकी क्षमता नहीं थी, अपेक्षित प्रगति भी नहीं हुई थी। अतः इन तीनों प्रदेशोंका एकीकरण करके 'मध्यप्रदेश के नामसे केवल एक प्रदेश बना दिया गया। क्षेत्रफलकी दृष्टिसे यह भारतका सबसे बड़ा प्रदेश है । इसके भालपर विन्ध्याचल और सतपुड़ाका हिम-किरीट सुशोभित है। इसके आंचलको बेतवा, नर्मदा, कावेरी आदि नदियाँ पखारती हैं।
प्राचीन जनपद-भगवज्जिनसेनके 'आदिपुराण के अनुसार भगवान् ऋषभदेवकी आज्ञासे इन्द्रने भारतको ५२ जनपदोंमें विभाजित किया था। उनके नाम इस प्रकार हैं
सुकोशल, अवन्ती, पुण्ड्र, उण्ड्र, अश्मक, रम्यक, कुरु, काशी, कलिंग, अंग, बंग, सुह्य, समुद्रक, काश्मीर, उशीनर, आनर्त, वत्स, पंचाल, मालव, दर्शार्ण, कच्छ, मगध, विदर्भ, कुरुजांगल,
, महाराष्ट्र, सुराष्ट्र, आभीर, कोंकण, वनवास, आन्ध्र, कर्णाट, कोशल, चोल, केरल, दोरु, अभिसार, सौवीर, शूरसेन, अपरान्तक, विदेह, सिन्धु, गान्धार, यवन, चेदि, पल्लव, काम्बोज, आरट्ट, वाह्लीक, तुरुष्क, शक और केकय ।
इन जनपदोंमें निम्नलिखित जनपद मध्यप्रदेश में स्थित थेसुकोशल, अवन्ती, मालव, दशार्ण और चेदि।
सुकोशल-इसकी सीमाएं इस प्रकार बतायी गयी हैं'-उत्तरमें अमरकण्टकमें नर्मदाके मुहानेसे दक्षिणमें महानदी तक तथा पश्चिममें वानगंगासे लेकर पूर्वमें हरदा और जोंक नदियों तकका सम्पूर्ण भूभाग। इसमें वर्तमान छत्तीसगढ़ और रायपुरके जिले भी सम्मिलित थे। यह कलचुरि नरेशोंका शासित प्रदेश था।
___ अवन्ती-मालवाका प्राचीनतम नाम (कथासरित्सागर, अ. १९)। इस प्रदेशको राजधानी उज्जयिनी थी। (अनर्घराघव, अंक ७)। गोविन्द-सुत्त (दीघ-निकाय) के अनुसार माहिष्मती इसकी राजधानी थी। अवन्तीको ही सातवीं-आठवीं शताब्दीसे मालवा कहने लगे (Rhys David's Buddhist India, p. 28)
8. The Geographical Dictionary of Ancient & Mediaevel India
by Nundolal Dey. २. Tivara Deva's Inscription, found at Rajim in Asiatic Researches xV, 508.