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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ:
___ इस मन्दिरको मूलनायक प्रतिमा अत्यन्त अतिशयसम्पत्र है। अतिशयोंके कारण यह क्षेत्र अतिशय क्षेत्र कहलाता है। यही मन्दिर यहाँका बड़ा मन्दिर कहलाता है। अनेक भक्तजन इसी मुर्तिके आगे भक्तिभावसे मनौती मानने आते हैं।
१६. अजितनाथ जिनालय-भगवान् अजितनाथको १६ फुट ऊंची खड्गासन प्रतिमा इस मन्दिरकी मूलनायक प्रतिमा है। इसके मुखपर वीतराग-छवि और होंठोंपर मधुर स्मित अंकित है। ऊपरी भागमें दो पद्मासन प्रतिमाएँ हैं तथा अधोभागमें दोनों ओर चमरवाहक हैं। बायीं ओरकी दीवारमें ६ फुट ६ इंच ऊँची सम्भवनाथ भगवान्की खड्गासन मूर्ति है। इसकी उंगली खण्डित है। ऊपरी भागमें दो पद्मासन मूर्तियाँ हैं। इनमें एकका मुख खण्डित है। अधोभागमें चमरवाहक हैं।
इस मन्दिरकी प्रतिष्ठा मन्दिर नं. १५ के साथ ही वैशाख शुक्ला ५ संवत् १६७२ में हुई थी। प्रतिष्ठाकारक कोई पुरवार-जातीय थे, किन्तु नाम पढ़नेमें नहीं आता। पत्नीका नाम लालमणि और पुत्रका नाम दमन था। प्रतिष्ठाचार्य भट्टारक धर्मकीर्ति थे, जिन्होंने मन्दिर नं. ७ की भी प्रतिष्ठा करायी थी।
इस मन्दिरके पीछे एक मूर्ति अर्धनिर्मित दशामें रखी हुई है।
१७. अभिनन्दननाथ जिनालय-इसमें भगवान् अभिनन्दननाथकी १६ फुट ऊँची खड्गासन मूर्ति विराजमान है। ऊपरके भागमें दोनों ओर दो पद्मासन मूर्तियाँ हैं। नीचेके भागमें चमरेन्द्र हाथीपर खड़े हैं। मन्दिरको प्रतिष्ठा संवत् १७०८ में नेकानने करायी थी। इसके शिखरमें तीन ओर तीन बिम्ब हैं। १८. अरहनाथ जिनालय-इसमें मूलनायक भगवान् अरहनाथकी ४ फुट ९ इंच ऊँची
है। मन्दिरको प्रतिष्ठा वैशाख शुक्ला १३ संवत् १९२३ में अमरोदनिवासी श्री थोवनलाल मोदीने करायी थी।
१९ महावीर जिनालय-इसमें मूलनायक भगवान् महावीरको ६ फुट ६ इंच ऊंची खड़गासन प्रतिमा विराजमान है। चन्देरीकी श्रीमती अमरोबाईने मन्दिरको प्रतिष्ठा वैशाख शुक्ला १३ संवत् १९२३ को मन्दिर नं. १८ के साथ करायी।
२०. चन्द्रप्रभ जिनालय-इसमें चन्द्रप्रभ भगवानकी ८ फुटकी खड्गासन प्रतिमा मूलनायकके रूप में विराजमान है। श्रीमती नोवाबाईने इस मन्दिरकी प्रतिष्ठा मन्दिर नं.१८-१९ के साथ ही वैशाख शुक्ला १३ संवत् १९२३ को करायी थी। - २१ महावीर जिनालय-इसमें मूलनायक भगवान् महावीर स्वामीकी ८ फुट ऊँची खड्गासन प्रतिमा विराजमान है। इसकी प्रतिष्ठा अशोकनगरकी एक वृद्धा महिलाने मन्दिर नं. १८-१९-२० के साथ ही करायी थी। एक आलेमें एक फुटकी पद्मासन प्रतिमा विराजमान है।
२२. शान्तिनाथ जिनालय-इस मन्दिरमें शान्तिनाथ भगवान्की मूलनायक प्रतिमा कायोत्सर्गासनमें विराजमान है। इसका आकार ८ फुट है। चन्देरीनिवासी चौधरी रामचन्द्रने मन्दिर नं. १८ के साथ इसकी प्रतिष्ठा करायी। हाथीपर चमरेन्द्र खड़े हैं। ऊपरके भागमें दो पद्मासन प्रतिमाएं हैं। मन्दिरमें एक मूर्ति १ फुट ९ इंचकी है। मन्दिरके आगे एक चबूतरेपर श्वेत पाषाणका ३० फुट ऊँचा एक मानस्तम्भ बना हुआ है, जिसका निर्माण वीर निर्वाण संवत् २४८१ में मुंगावलीके सवाई सिंघई नाथूराम राजमल परवार और ओडेरनिवासी स. सि. लखमीचन्द्र ने कराया तथा उसके चारों बिम्बोंकी पंचकल्याणक प्रतिष्ठा दो गजरथ चलाकर पृथकपृथक् करायी।