________________
भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ गूड़र
यह एक छोटा-सा गांव है।.. यह खनियाधानासे ८ कि. मी. दूर एक पहाड़ीकी तलहटीमें स्थित है। यहां कई खेतोंमें जैन प्रतिमाएं खण्डित दशामें पड़ी हुई हैं। कुछ प्रतिमाओंपर की गयी ओपदार पालिश विशेष दर्शनीय है। गांवके एक कुएंमें दो जैन प्रतिमाएं चिनी हुई हैं । कुएंको ध्यानपूर्वक देखनेसे ज्ञात होता है कि इस कुएंमें जो सामग्री प्रयुक्त की गयी है, वह किसी या किन्हीं प्राचीन जैन मन्दिरोंकी है।
यहाँपर पहाड़ीके ऊपर एक प्राचीन जैन मन्दिर बना हुआ है। इसके चारों ओर प्राचीन मन्दिरोंके भग्नावशेष बिखरे पड़े हैं। मन्दिरको दशा ठीक है। एक मन्दिर गांवमें है, जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. १७१८ में हुई थी। मन्दिरके सामने वि. सं. १८१२ का बना हुआ मानस्तम्भ है। मन्दिरोंके अवशेषोंको देखकर ऐसा लगता है कि कभी यहाँपर जैनोंकी संख्या और दशा काफी अच्छी रही होगी किन्तु आजकल तो वहाँ केवल चार-पांच ही जैन गृहस्थ रहते हैं। गोलाकोट
__यह क्षेत्र गूडर ग्रामसे प्रायः ३ कि. मी. और खनियाधानासे ६ कि. मो. है। गूडर ग्रामसे आधा मील चलनेपर एक रमणीय सरोवर मिलता है। इस सरोवरमें एक बाँध द्वारा पानी दिया जाता है। गोलाकोट क्षेत्रका मार्ग बांधके ऊपर होकर ही जाता है। बांधका मार्ग समाप्त होते ही गोलाकोट पहाड़ी मिलती है। पहाड़ीका आकार गोल है, सम्भवतः इसीलिए इसका गोलाकोट नाम पड़ा है। तलहटीमें एक भव्य सरोवर है जिसके तटपर झाँकती हुई पहाड़ी और पहाड़ीके मार्गके दोनों ओर हरसिंगारके वृक्ष यात्रीके स्वागतमें पुष्प विकीर्ण करते हुए बड़े सुन्दर प्रतीत होते हैं।
_मार्ग पैदलका है। पहाड़ीपर चढ़ते ही कुछ दूरपर एक छतरी दिखाई पड़ती है। उससे । कुछ आगे मन्दिरको चहारदीवारी दीखने लगती है। यह चहारदीवारी या कोट लगभग ८०
फुटका है। कहीं-कहीं कोटकी दीवार गिर चुकी है। इस कोटके भीतर ही विशाल जैन मन्दिर बना हुआ है। यहाँपर ११९ मूर्तियाँ हैं। पहले यहाँपर १४५ मूर्तियां थीं। इन मूर्तियोंपर वि. संवत् १००० से १२०० तक अर्थात् ई. स. ९४३ से ११४३ तकके लेख मिलते हैं, जिससे ज्ञात होता है कि ये मूर्तियाँ और मन्दिर १०वीं शताब्दी या उससे पूर्व निर्मित हुए थे। असुरक्षित अवस्थामें रहनेके कारण मूर्तिभंजकों और कर्तकोंने कुछ मूर्तियाँ नष्ट कर दी।
यह क्षेत्र शिवपुरी जिलेमें है। पचराई
श्री दिगम्बर जैन अतिशय-क्षेत्र पचराई मध्यप्रदेशके शिवपुरो जिलेमें है। यह खनियाधानासे १६ कि. मी. है। सेण्ट्रल रेलवेके बसई स्टेशनसे यह स्थान खनियाधाना होकर ४८ कि. मी. पड़ता है। तथा कोटा-बीना लाइनपर टकनेरी स्टेशनसे ईसागढ़ होकर यह ५६ कि. मी. पड़ता है। ईसागढ़से यह कच्चे मार्गसे १७ कि. मी. है।
___यहाँके सभी मन्दिर एक परकोटेके अन्दर हैं। यहाँ कुल २८ मन्दिर हैं । परकोटेके दो भाग हैं। सभी मन्दिर शिखरबद्ध हैं। मुख्य मन्दिर भगवान् शीतलनाथका है। शीतलनाथकी मूर्तिकी अवगाहना १२ फुट है और वह खड्गासन है। यहाँकी मूर्तियोंमें एक मूर्ति, जो श्वेत पाषाणकी है, नवीन है और शेष सभी मूर्तियां प्राचीन हैं। इन सब मूर्तियोंपर चमकदार पालिश