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________________ ५० भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ जन्म-स्थान कुण्डपुर नहीं था, किन्तु इस लेखके कारण जनताके मनमें यह भ्रान्त धारणा बद्धमूल हो सकती है कि यही स्थान कुण्डपुर कहलाता था और महावीरका जन्म यहींपर हुआ था। यहाँसे जैन भवनको लौटते हैं। इस स्थानके चारों ओर सरोवर हैं। प्रायः पूरे वर्ष जलमें होकर ही मन्दिर तक पहुँच सकते हैं। बरसातमें तो रास्तोंमें पानी भर जाता है। अतः मन्दिर तक जा नहीं सकते। ____लौटते हुए रास्तेसे जरा हटकर दायीं ओर एक ऊँचे टोलेपर पीर काजी मीरमकी खुली हुई दरगाह है । यहाँ पीरकी कब्र बनी हुई है । इसकी चहारदीवारीके बाहर दो छोटी कब्र बनी हुई हैं। यहाँ प्रतिवर्ष चैत सुदी ९ को मेला भरता है। हजारों लोग यहाँ मनौती मनाने आते हैं। ऐसी अनुश्रुति है कि महात्मा बुद्धके प्रमुख शिष्य आनन्दका स्तूप यही था, जिसके अवशेषोंपर यह दरगाह बनायी गयी। जैनमन्दिरसे जैनविहार लगभग एक मील है। मार्गमें विशालके गढ़के उत्खननके फलस्वरूप निकले हुए अनेक भवन मिलते हैं, जिनसे वैशालीकी एक झाँकी आँखोंके आगे नृत्य करने लगती है। कर्मारग्राम जैनविहारसे वासुकुण्डकी ओर जानेपर मार्ग में ही दायीं ओर कम्मनछपरा नामक ग्राम है। यहाँ महादेवकी खड़ी हुई एक विशाल और चतुर्मुखी पाषाण-प्रतिमा है। यह जाँघों तक जमीनमें गड़ी हुई है। यह २००० वर्ष प्राचीन बतायी जाती है। यहाँ लोग मनौती मनाने आते हैं, किन्तु मनौती मनानेका ढंग बड़ा अद्भुत है। जो मनौती मनाता है, वह मूर्तिको पत्थर, ढेले मारता है । अन्धश्रद्धामें लोग यह भी नहीं समझते कि इससे इतनी पुरातात्त्विक महत्त्वकी एक कलामूर्ति खण्डित और विकृत हो जायेगी। पुरातत्त्व विभागके अधिकारी इस मूर्तिको हटाकर संग्रहालयमें सुरक्षित करना चाहते हैं। वर्तमानका यह कम्मनछपरा ही प्राचीन कर्मारग्राम हो सकता है। इस ग्रामका प्राचीन नाम कहीं-कहीं कूर्मग्राम भी मिलता है। जैन पुराणोंमें कूलग्रामका भी नाम आया है, जहाँ भगवान् महावीरकी प्रथम पारणा हुई थी । भगवान्ने ज्ञातृखण्ड वनमें दीक्षा ली थी। यह वन कुण्डपुरके निकट ही था। दो दिनका उपवास करके वे पारणाके लिए कूलग्राममें गये और वहाँके राजा कूलके महलोंमें आहार हुआ। ज्ञातृखण्डवन अवश्य ही कुण्डपुरका बहिरुद्यान होगा । उस उद्यानके निकट कूलग्राम भी होगा । सम्भवतः कूर्मग्राम और कूलग्राम एक ही नगरके नाम थे। इसलिए यह माना जा सकता है कि वर्तमान कम्मनछपरा ( प्राचीन कूर्मग्राम अथवा कूलग्राम ) में भगवान् महावीरका प्रथम आहार हुआ था। मार्ग (१) बड़ी लाइनसे वाराणसी उतरकर छोटी लाइन (N. E. R.) द्वारा वाराणसीसे छपरा, सोनपुर होते हुए हाजीपुर या मुजफ्फरपुर स्टेशनपर उतरकर बस द्वारा ३५ कि. मी. पक्की सड़कसे। .... (२) छोटी लाइन (N. E. R.) से आगरा, कानपुर, लखनऊसे गोरखपुर, छपरा, सोनपुर होते हुए पूर्ववत् (३) बड़ी लाइन ( E. R. ) से क्यूल, मौकामा, बरौनी होते हुए समस्तीपुर आवें । वहाँसे छोटी लाइन द्वारा मुजफ्फरपुर या हाजीपुर जाकर बस द्वारा।
SR No.090097
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1975
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size18 MB
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