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________________ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ बिहार, बंगाल, उड़ीसाके जनपद भगवान् वृषभदेवने भारतको ५२ जनपदोंमें विभक्त किया था। भगवान् जिनसेनकृत आदिपुराणमें उन जनपदोंके नाम इस प्रकार हैं सुकोशल, अवन्ती, पुण्ड्र, उण्ड्र, अश्मक, रम्यक, कुरु, काशी, कलिंग, अंग, वंग, सुह्म, समुद्रक, काश्मीर, उशीनर, आनर्त, वत्स, पंचाल, मालव, दशार्ण, कच्छ, मगध, विदर्भ, कुरुजांगल, करहाट, महाराष्ट्र, सुराष्ट्र, आभीर, कोंकण, वनवास, आन्ध्र, कर्णाट, कोशल, चोल, केरल, दारु, अभिसार, सौवीर, शूरसेन, अपरान्तक, विदेह, सिन्धु, गान्धार, यवन, चेदि, पल्लव, काम्बोज, आरट्ट, वाह्लीक, तुरुष्क, शक और केकय । इन जनपदोंमें-से बिहार, बंगाल, उड़ीसामें निम्नलिखित जनपद सम्मिलित हैंअंग, उण्डू, कलिंग, वंग, सुह्म, मगध, विदेह और पुण्ड्र। अंग जनपद-भागलपुरसे मुंगेर तक फैले हुए भूभागको अंग देश कहते थे। इस देशकी राजधानी चम्पापुरी थी। यह भागलपुरसे पश्चिममें दो मील दूर है। पुरातत्त्ववेत्ता कनिंघमने भागलपुरसे २४ मील दूर पत्थरघाटा पहाड़ीके पास चम्पापुरकी स्थिति मानी है। यह गंगातटपर अवस्थित है। उण्ड्र जनपद-कलिंग और दक्षिण कोशलका मध्यवर्ती पर्वतीय प्रदेश उण्ड्र अथवा ओड्र कहलाता था। केओझर और मयुरभंजकी दक्षिणी सीमासे लेकर महानदीके बायें तटका समूचा प्रदेश इसमें सम्मिलित था। कलिंग जनपद-उत्तरमें उड़ीसासे लेकर दक्षिणमें आन्ध्र या गोदावरीके मुहाने तक फैले हए भूभागको कलिंग जनपद कहा जाता था। वंग जनपद-यह जनपद अंगके पूर्व और सुमके उत्तर-पूर्व में स्थित था। वर्तमान पूर्वी बंगालको वंग जनपद कहा जा सकता है। सुह्म जनपद-यह जनपद मध्यप्रदेशके दक्षिण पूर्वमें, अंग देशके नीचे और वंग तथा उत्कलके बीच में स्थित था। प्रसिद्ध बन्दरगाह ताम्रलिप्तिको भी सूह्म जनपदके अन्तर्गत माना गया है । आचारांग सूत्रके अनुसार यह जनपद राढ़ देशके दो भागोंमें-से एक था। मगध जनपद-इस जनपदकी सीमा यों थी-उत्तरमें गंगा, पश्चिममें शोण नदी, पूर्वमें अंग और दक्षिणमें छोटा नागपुरका सघन जंगल । दक्षिण बिहारको मगध जनपद कहा जा सकता है। इसकी राजधानी प्रारम्भमें गिरिव्रज या राजगृह थी, पश्चात् कुछ समय चम्पा इसकी राजधानी रही और बादमें पाटलिपुत्रको इसकी राजधानी बना लिया। महाभारतमें मगधका नाम कीकट आया है । वायुपुराणमें राजगृहको कीकट बताया है। विदेह जनपद-इसकी पहचान बिहार प्रदेशके तिरहुत भागसे की जा सकती है। इसकी राजधानी मिथिला थी। यह प्रदेश मगधके पूर्वोत्तरमें था। पुण्ड्र जनपद-बंगला देशका मालवा जिला पुण्ड्र जनपद कहलाता था। यहाँके वस्त्र बहुत प्रसिद्ध थे। वे श्यामवर्ण और मणिके समान स्निग्ध होते थे। बौद्ध साहित्यमें सोलह महाजनपदोंके नाम इस प्रकार मिलते हैं-अंग, मगध, काशी, कोशल, वज्जि, मल्ल, चेति, वत्स, कुरु, पंचाल, मत्स्य, शूरसेन, अश्मक, अवन्ती, गन्धार और कम्बोज। इसी प्रकार बृहत्कल्पसूत्र भाष्यमें मगध, अंग, बंग, कलिंग, काशी, कोशल, कुरु, कुशातं, पंचाल, जंगल, सौराष्ट्र, विदेह, वत्स, शाण्डिल्य, मलय, मत्स्य, वरणा, दशार्ण, चेदि, सिन्धु
SR No.090097
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1975
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size18 MB
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