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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ जैन पुरातत्त्व
___यहाँ पार्श्वनाथ मन्दिर, गुहा मन्दिर, पाण्डुक शिला और कोलेश्वरी देवीके मन्दिरमें शिलालेख हैं। पहले पहाड़पर अनेक खण्डित-अखण्डित जैन मूर्तियाँ इधर-उधर पड़ी हुई थीं। कई पुरातत्त्ववेत्ताओंने उन्हें स्वयं देखा था। इन पुरातत्त्ववेत्ताओंको सरोवरमें सहस्रकूट चैत्यालयका एक खण्डित भाग तथा एक आठ इंचो मूर्ति मिली थी। सहस्रकूट चैत्यालयके उस खण्डित भागमें ढाई-ढाई इंचकी ५० जैन प्रतिमाएँ उकेरी हई थीं। उक्त चैत्यालयका भग्न भाग कोलेश्वरी देवीके मन्दिरके पास पड़ा हुआ था। सरोवरके निकट एक वृक्षके नीचे डेढ़ फुटकी दो जैन मूर्तियाँ थीं। ये दोनों ही खण्डित थीं। एक मूतिके पादपीठपर संवत् १४४३ अंकित था। ये मूर्तियाँ कहाँ गयीं, यह ज्ञात नहीं हो सका । पहाड़ पर स्थित वर्तमान जैन मन्दिरका नाम सर्वे सैटिलमैण्टके नक्शे में पार्श्वनाथ मन्दिर दिया है तथा मन्दिरके बाहर जो चबूतरा है, उसे पार्श्वनाथ चबूतरा माना है।