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________________ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ दिगम्बर-श्वेताम्बर समाज में समझौता श्वेताम्बर समाज और भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटीके मध्य हए सन् १९२७ . के एक समझौतेके अनुसार पाँचों पहाड़ियोंके मन्दिरोंका आपस में बँटवारा हआ। बँटवारेमें पाँचों पहाड़ोंपर बने हुए १९ मन्दिरोंमें से ११ श्वेताम्बर समाजके अधिकारमें गये और ८ दिगम्बर समाजके अधिकारमें । इसी प्रकार राजगृही बस्तीमें बने हुए मन्दिरजीको, जिसपर दोनों समाजोंका समान अधिकार था, दिगम्बर समाजने अपना हक छोड़कर सद्भावनाकी दृष्टिसे श्वेताम्बर समाजको दे दिया। पहले, दूसरे और तीसरे पर्वतके रास्तोंकी मरम्मतका भार दिगम्बर समाजपर तथा चौथे और पांचवें पर्वतके रास्तोंकी मरम्मतका भार श्वेताम्बर समाजपर डाला गया। मार्ग राजगृही ( वर्तमान राजगिर ) बिहार प्रदेशके पटना जिलेके दक्षिण-पूर्वके कोनेमें बिहार शरीफसे २३ कि. मी. दूर बख्त्यारपुर-बिहार-राजगिर रेलवेका अन्तिम स्टेशन है। यहाँ आनेके लिए निम्न मार्ग हैं १. बख्त्यारपुरसे रेल द्वारा। २ गयासे नवादा होते हुए रेल या मोटर द्वारा । इस मार्गमें ‘गुणावा, नवादा, पावापुरी, ___ कुण्डलपुर और नालन्दाकी यात्रा भी हो जाती है। ३. भागलपुर-क्यूल जंकशनसे होते हुए नवादा या बख्त्यारपुर उतरकर । ४. पटनासे बस या टैक्सी द्वारा। पावापुरी सिद्धक्षेत्र पावापुरी सिद्धक्षेत्र है। यहाँपर अन्तिम तीर्थंकर भगवान् महावीरने निर्वाण प्राप्त किया था। आचार्य यतिवषभने 'तिलोयपण्णत्ति'में इस सम्बन्धमें लिखा है कि 'कत्तियकिण्हे चोद्दसिपच्चूसे सादिणामणक्खत्त । पावाए णयरीए एक्को वीरेसरो सिद्धो ।।४।१२०८॥ -भगवान् वीरेश्वर ( महावीर ) कार्तिक कृष्णा चतुर्दशीके दिन प्रत्यूषकालमें स्वाति नक्षत्रके रहते पावापुरसे अकेले ही सिद्ध हुए। प्राकृत 'निर्वाण भक्ति' में प्रथम गाथामें निम्न पाठ आया है'पावाए णिव्वुदो महावीरो' अर्थात् पावामें महावीरका निर्वाण हुआ। संस्कृत 'निर्वाणभक्ति में भगवान् महावीरके निर्वाणके सम्बन्धमें विस्तृत सूचना उपलब्ध होती है जो इस भाँति है पद्मवनदीर्घिकाकुलविविधद्रुमखण्डमण्डिते रम्ये । पावानगरोद्याने व्युत्सर्गेण स्थितः स मुनिः ॥१६॥ कार्तिककृष्णस्यान्ते स्वातावृक्षे निहत्य कर्मरजः । अवशेषं सम्प्रापद्व्यजरामरमक्षयं सौख्यम् ॥१७॥
SR No.090097
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1975
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size18 MB
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