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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ वामनपुराण ( अ. ४४ ) के अनुसार पार्वतीसे विवाह करनेके बाद महादेव मन्दराचलपर रहे थे।
इन पुराणोंके उल्लेखोंसे यह स्पष्ट है कि मन्दराचल हिमालय पर्वतका ही एक भाग था और वह बदरिकाश्रम ( बद्रीनाथ ) वाला या उसका निकटवर्ती पर्वत था। जिस मन्दराचलको मथानी बनानेकी कथा हिन्दू पुराणोंमें दी गयी है, उसका कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सम्बन्ध भागलपुर जिलेके मन्दारगिरिके साथ नहीं है, यह विश्वासपूर्वक कहा जा सकता है। वामनपुराणके साक्ष्यसे यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि महादेवका बास अधिकांशतः हिमालयमें ही रहा है और इसीलिए वे मन्दराचलपर रहे थे, क्योंकि वह भी हिमालयमें था। भागलपुर जिलेके मन्दारगिरिपर महादेवका निवास कभी रहा हो, ऐसा कोई उल्लेख हिन्दू पुराणोंमें देखने में नहीं आया।
ऐसी दशामें यह अवश्य चिन्तनीय है कि हिन्दू जनताने मन्दारगिरिको कब और कैसे तीर्थके रूप में मानना प्रारम्भ कर दिया। तलहटीका मन्दिर
क्षेत्रपर धर्मशाला बनी हुई है, जिसमें २० कमरे हैं। क्षेत्रका कार्यालय इसीमें स्थित है। सामनेकी ओर शिखरबद्ध मन्दिर बना हआ है। मन्दिर बहत भव्य है। इस मन्दिरमें मूलनायक भगवान् वासुपूज्यको पद्मासन प्रतिमा मूंगेके वर्णकी है, ४ फुट अवगाहनावाली है। उसके आगे धातुकी १ पद्मासन और १ खड्गासन प्रतिमा है तथा २ चरण-युगल हैं। मूलनायक प्रतिमाकी प्रतिष्ठा वीर सं. २४६९ में हुई थी।