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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ के बीच में मुसलमानोंने करबला बना लिया है। यह स्तूप सठियांव डीहके पूर्व, उत्तरपूर्वमें ३३०० फुट दूर है। स्तूपके उत्तरमें ३०० फुट दूरसे फाजिलनगर गाँव शुरू होता है।
फाजिलनगर-सठियाँव डीहमें बाबा राघवदासके प्रयत्नसे 'पावानगर महावीर इण्टर कालेज' की स्थापना हो चुकी है। कुछ लोगोंका विश्वास है कि महावीरकी निर्वाणभूमि पावा यही है। यहाँ एक प्राचीन कुआँ मिला है। इसकी चौड़ाई तीन फुट है। इसमें गोलाई लिये हुए एक घेरेमें तीन इंटें लगी हैं। विश्वास किया जाता है कि यह कुआँ गुप्त-काल या उससे भी प्राचीन होगा।
एक पेड़के नीचे एक देवी-मूर्ति मिली है । मूर्ति खण्डित है । एक दूसरे पेड़के नीचे एक मूर्ति रखी है, जिसके हाथ खण्डित हैं। यह मूर्ति धन-देवता 'कुबेर' की है। एक टीलेपर कुछ ईंटें व पत्थर रखे हुए हैं जिन्हें हिन्दू पूजते हैं। यह मुख्य टीला कहा जाता है। टीलेपर ऊँची घास उगी हुई है। हिन्दू लोग इस टीलेको पवित्र मानते हैं।
कालेजमें भूगर्भसे प्राप्त कुछ सामग्री रखी हुई है। इस सामग्रीमें कई पाषाण और मिट्टीकी मूर्तियाँ, सिक्के, मुहरें, मिट्टीके टूटे बरतन आदि हैं। एक देवीकी मूर्ति है जो खण्डित है। एक शिला-फलकमें एक देवी है। नीचे दोनों ओर सेविकाएं हैं। ऊपरकी ओर दो देवियाँ हैं।
१. Report of a tour in the Gorakhpur District in 1875-76 and 1876-77, by A.C.
L. Carlleyle, Vol. XVIII.