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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ इसी प्रकार यहींपर बारहवाँ चक्रवर्ती ब्रह्मदत्त भी हुआ जिसने सम्पूर्ण भरत क्षेत्रपर विजय प्राप्त कर कम्पिलाको राजनीतिक केन्द्र बनाया। यह चक्रवर्ती भगवान् नेमिनाथ और भगवान पार्श्वनाथके अन्तर्वर्ती कालमें हुआ था। वाल्मीकि रामायण और बौद्ध ग्रन्थ महाउम्मग्ग जातकमें भी इस राजाके सम्बन्धमें वर्णन मिलता है। विषयलम्पटी होनेके कारण इसके नरकमें जानेका उल्लेख मिलता है।
महाभारतके युद्धके बाद कम्पिला अध्यात्म विद्याका केन्द्र बन गया था। वार्षिक मेला ।
क्षेत्रपर चैत्र कृष्णा अमावस्यासे चैत्र शुक्ला तृतीया तक मैनपुरीवालोंकी ओरसे मेला लगता है और रथयात्रा निकलती है। इस समय बाहरी चौकके दालानमें बनी हुई शिखरबद्ध वेदीपर मूलनायक प्रतिमा विराजमान की जाती है। पहले यह मेला चैत्र कृष्णा दशमीसे होता था। एक मेला आश्विन कृष्णा द्वितीयाको होता है। इस अवसरपर जल-विहार और मस्तकाभिषेक होता है।
___ यहाँ एक श्वेताम्बर मन्दिर भी है। इसका निर्माण सन् १९०४ में हुआ था।