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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ अतिशयोंकी चर्चा चारों ओर फैलने लगी। इस प्रकार मरसलगंज एक अतिशय क्षेत्रके रूपमें प्रसिद्ध हो गया। वर्तमान स्थिति
कालान्तरमें यहाँ जैनोंका एक भी घर नहीं रहा। ऐसी स्थितिमें कुछ लोगोंने क्षेत्रकी भूमिपर अपना अधिकार करनेका प्रयत्न किया। किन्तु क्षेत्र कमेटीने हर प्रकारसे क्षेत्रके हितोंकी रक्षा की। अब तो लम्बी चहारदीवारी बनवा दी गयी है जिसमें विजयद्वार और अभयद्वार बने हैं। चहारदीवारीके भीतर ही मेलेके लिए अलग परिधि खींचकर उसमें ऋषभद्वार, दौलतद्वार और माणिकद्वार बनाये गये हैं तथा एक सुन्दर अहिंसा ध्वजस्तम्भ (घण्टाघर) भी बना है। इस स्तम्भपर क्षेत्रका परिचय, जैन धर्मका परिचय तथा प्रमुख दानदाताओंकी नामावली अंकित है।
क्षेत्रपर केवल एक ही मन्दिर है। मुख्य वेदीमें भगवान् ऋषभदेवकी श्वेत पाषाणकी पद्मासन प्रतिमा है, जिसकी अवगाहना पौने दो फूट है तथा जिसके आसनपर लेख है। उसके अनुसार इसकी प्रतिष्ठा वि० संवत् १५४५ में हई थी। मलनायक प्रतिमाके अतिरिक्त पाँच पाषाण प्रतिमाएँ और, ग्यारह धातु प्रतिमाएँ हैं। धातु प्रतिमाओंमें एक चौबीसी भी है। पाषाण प्रतिमाओंमें चार इंच अवगाहनावाली पार्श्वनाथ भगवानकी एक प्रतिमा है जो लगभग पाँच सौ वर्ष प्राचीन प्रतीत होती है।
दो वेदियाँ और हैं। बायीं वेदीमें मलनायक शान्तिनाथ भगवान् के अतिरिक्त आठ पाषाणप्रतिमाएँ तथा वेदीके दोनों ओर पाँच फुट अवगाहनावाली दो खड्गासन प्रतिमाएं हैं। ये सभी प्रतिमाएँ आधुनिक हैं।
___ दायीं ओरकी वेदीमें भगवान् नेमिनाथकी कृष्ण वर्ण मूलनायक प्रतिमा है तथा इसके अतिरिक्त सात प्रतिमाएँ और हैं। ये प्रतिमाएँ भी आधुनिक हैं।
___ इन अरहन्त प्रतिमाओंके अलावा आचार्य सुधर्मसागरजी, आचार्य महावीर कीर्तिजी और आचार्य विमलसागरजीको भी पाषाण प्रतिमाएँ ध्यान मुद्रामें विराजमान हैं।
इस मन्दिरसे सटा हुआ एक हाल बना है, जिसमें खुली वेदीमें भगवान् ऋषभदेवकी श्वेत पाषाणकी सात फूट अवगाहनावाली भव्य पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। इसका भार ३५० मन है।
फरिहामें दो मन्दिर हैं। बड़ा मन्दिर दर्शनीय है। यहाँ चारों ओर लहलहाते हुए वृक्षों और सुन्दर जलवायुने क्षेत्रकी आध्यात्मिक शान्ति और सौन्दर्यको अत्यधिक बढ़ा दिया है।
प्राचीन मन्दिरके नीचे बाबा ऋषभदासजीकी ध्यानगुफा है। वार्षिक मेला
यहाँ प्रति तीसरे वर्ष मेला होता है।
मार्ग
यहाँ पहुँचनेके लिए समीपका रेलवे स्टेशन फ़ीरोजाबाद है। यह क्षेत्रसे २२ कि. मी. दूर है। फरिहा-कोटला-फीरोजाबाद रोड, टूण्डला-एटा रोड, फरिहा-मैनपुरी रोडसे बस द्वारा फरिहा पहुंचा जा सकता है। फरिहासे यह क्षेत्र ४ फलांग है। रास्ता कच्चा है जो आशा है कुछ समय बाद पक्का हो जायेगा।