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उत्तरप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ
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मुहम्मद शहाबुद्दीन गोरी कन्नौज और बनारसकी ओर बढ़ रहा था। कन्नौज नरेश जयचन्द गोरीके उद्देश्यको समझ गया और उसे कन्नौजपर आक्रमण करनेसे रोकनेके लिए भारी सैन्यदल लेकर चन्दवारके मैदानोंमें आ डटा। यहाँ दोनों सेनाओंके बीच भीषण युद्ध हुआ। जयचन्द हाथीपर बैठा हुआ सैन्य संचालन कर रहा था। तभी शत्रुका एक तीर आकर जयचन्दको लगा
और वह मारा गया। जयचन्दकी सेना भाग खड़ी हुई । गोरीकी फौजें चन्दवार नगरपर टूट पड़ीं। यहाँसे गोरी लूटका सामान पन्द्रह सौ ऊँटोंपर लादकर ले गया ।
सन् १३८९ में सुल्तान फ़ीरोज़शाह तुगलकने चन्दवारके निकटस्थ हतिकान्त नगर, चन्दवार और रपरीपर अधिकार कर लिया। उसके पोते तुगलकशाहने चन्दवारको बिलकुल नष्ट-भ्रष्ट कर दिया। जो मूर्तियाँ बचायी जा सकी, वे जमुनाकी धारामें छिपाकर बचा ली गयीं। जो रह गयीं वे नष्ट कर दी गयीं।
लोदी-वंशके शासन-कालमें चन्दवार और रपरीपर कई जागीरदारोंने शासन किया। सन् १४८७ में बहलोल लोदीसे रपरीमें जौनपुरके नवाब हुसैन खाँकी करारी मुठभेड़ हुई, जिसमें नवाब बुरी तरह हारा। सन् १४८९ में सिकन्दर लोदीने चन्दवार, इटावाकी जागीर अपने भाई आलमखाँको प्रदान कर दी। उसने रुष्ट होकर बाबरको बुला भेजा। बादमें चन्दवारमें हुमायूँने सिकन्दर लोदीको हरा दिया। शेरशाह सूरीने हुमायूँको हराकर चन्दवारपर अधिकार कर लिया। प्रजामें विद्रोह होनेपर शेरशाहने हतिकान्तमें रहकर विद्रोह को दबा दिया। धीरे-धीरे चन्दवार और उसके आसपासके रपरी, हतिकान्त आदि स्थान, जहाँ कभी जैनोंका वर्चस्व और प्रभाव था, अपना प्रभाव खोते गये। उनकी समृद्धि नष्ट हो गयी। ये विशाल नगर दुर्भाग्य-चक्रमें फँसकर आज मामूली गाँव रह गये हैं, जहाँ थोड़ेसे कच्चे-पक्के घर हैं और चारों ओर प्राचीन खण्डहर बिखरे पड़े हैं, जो इनके प्राचीन वैभवके स्मारक और साक्षी हैं ।
क्षेत्रकी स्थिति
___ यह क्षेत्र फ़ीरोज़ाबादसे चार मील है। मार्ग कच्चा है। केवल एक मन्दिर ही अवशिष्ट है जो गाँवके एक कोनेमें खड़ा है। निकट ही जमुना नदी बहती है। यहाँ चारों ओर खादर और खार बने हुए हैं। यहाँ बस्तीमें कोई जैन घर नहीं है। यहाँका प्रबन्ध फ़ीरोज़ाबादकी दिगम्बर जैन पंचायत करती है। किन्तु डाकूग्रस्त क्षेत्र होनेके कारण यहाँ वर्षमें कुछ इने-गिने जैन ही आनेका साहस करते हैं । अन्यथा तो यह नितान्त उपेक्षित पड़ा हुआ है। संसार कितना परिवर्तनशोल है, यह इस मन्दिरको देखकर स्पष्ट हो जाता है। इस मन्दिर और यहाँकी मूर्तियोंने समृद्धिके उस कालका भोग किया था, जहाँ भक्तोंकी पूजा और स्तुतिगानों, उत्सव और विधानोंसे यह सदा गुंजरित और मुखरित रहता था। किन्तु आज वहाँ भगवान्की पूजा तो दूर रही, उनकी मिट्टी और गर्द झाड़नेवाला तक कोई नहीं है। ___मन्दिरमें प्रवेश करते ही सहन पड़ता है, जिसके दो ओर दालान बने हुए हैं। उसके आगे एक विशाल गर्भालय है। गर्भालयमें प्रवेश करते ही मुख्य वेदी मिलती है। वेदी चार फुट ऊँची चौकीपर बनी हुई है। वेदी पाषाणकी है और उसके आगे पक्का चबूतरा बना हुआ ह । किन्तु वेदीमें कोई मूर्ति नहीं है।
____ इस वेदीके अतिरिक्त दो वेदियाँ दायें और बायें दालानमें तथा दो वेदियाँ मुख्य वेदीके पीछे दीवालमें बनी हुई हैं। बायीं ओरके दालानकी वेदीमें बलुआ भूरे पाषाणकी एक पद्मासन