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श्री भक्तामर महामण्डल पूजा
सर्वरोग प्रतिरोधक नास्तं कदाचिदुपयासि न राहुगम्यः,
स्पष्टीकरोषि सहसा युगपज्जगन्ति । नाम्भोधरोवर -- निरुद्ध -- महाप्रभावः,
सूर्यातिशायिमहिमासि मनीद्र ! लोके ।।१७।। शुभरवीव जिनः जिननायकः,
दुरितरात्रिघनान्ध---तमोपहः । स्वजनपद्मविकाश-विधायकः,
स्तवनपूजनश्च यामि तम् ।। मस्त न होता कभी न जिसको, अस पाता है राह प्रबल । एक साय बतलाने वाला, तीन लोक का ज्ञान विमल ॥ सकता कभी प्रभाव न जिसका, बादल की प्राकर के प्रोट । ऐसी गौरव-गरिमा बाले, आप अपूर्व दिवाकर कोट ॥१७॥
( ऋद्धि ) ॐ ह्री अर्ह णभो अट्ठा महानिमित्कुमलाणं ।
( मंत्र ) ॐ एमो मिऊए मट्ठ म? सदविघट्ट मुदपीड़ा अठरपीड़ा भंजय २, सर्वपीडा: निवारण २, सवंरोग-निवारणं कुरु कुरु स्वाहा ।
(विषि) प्रवासहित ७ दिन तक ... जाप जपना चाहिये। मछूता पानी २१ वार मंत्रित कर पिलाने से शारीरिक सभी रोग दूर हो जाते हैं ॥१७॥
प्रवं-हे मुनिमाय ! मापकी महिमा सूर्य से भी अधिक है। क्योंकि सूर्य सन्ध्या समय मस्त हो जाता है, परन्तु पाप सवा प्रकाशित