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परमोधर्म से बढ़कर कोई प्राचार नहीं है। जिस धर्म में जितनी ही कम हिसा है, समझना चाहिए कि उस धर्म में उतना ही अधिक सत्य है।
भगवान महावीर अहिंसा के अवतार थे उनकी पवित्रता ने संसार को जीत लिया था। महावीर स्वामी का नाम इस समय यदि किसी भी सिद्धान्त के लिए पूजा जाता है तो वह अहिंसा है। प्रत्येक धर्म की उच्चता इसो बात में है कि उस धर्म में अहिंसा तत्व की प्रधानता हो । अहिंसा तत्व को यदि किसों ने अधिक से अधिक विकसित किया है तो वे महावीर स्वामी थे।
जैन धर्म को विशेष सम्पति
___ डा० श्री राजेन्द्र प्रसाद जी मैं सपने को धन्य मानना है कि मुझे महावीर स्वामी ने प्रदेश में रहने का सौभाग्य मिला है। अहिंसा जैनों की विशेष सम्पत्ति है । जगत के अन्य किसी भी धर्म में अहिमा सिद्धान्त का प्रतिपादन इतनी सफलता से नहीं मिलता।
अनेकान्त वर्ष ६, पृ० ३६ भ० महावीर का कल्याण-मार्ग
डा० श्री राधाकृष्णन जी - यदि मानवता को विनाश से बचना है और कल्याण के मार्ग पर चलना है तो भगवान महावीर के सन्देश को और उनके बताये हुए मार्ग को ग्रहण किये बिना और कोई रास्ता नहीं ।
शान्तिदूत महावीर, पृ. ३० भगवान महावीर का त्याग
श्री पंडित जवाहरलाल ने अाशा है कि भगवान् महावीर द्वारा प्रणीत सेवा और त्याग भावना का प्रचार करने से सफलता होगी।
वीर देहली [१५ ज०, ५१] पृ० ४ अहिंसा वोर पुरुषों का धर्म है
सरदार श्री बल्लभ भाई पटेल जैन धर्म पीले कपड़े पहनने से नहीं पाता। जो इन्द्रियों को जीत सकता है, वही सच्चा जैन हो सकता है। अहिंसा वीर पुरुषों का धर्म है । कायरों का नहीं। जैनों को अभिमान होना चाहिए कि कांग्रेस उनके मुख्य सिद्धान्त का अमल समस्त भारत वासियों को करा रही है। जैनों को निर्भय होकर त्याग का अभ्यास करना चाहिए।
अनेकान्त, वर्ष ६, पृ. ३६ संसार के पूज्य भगवान महावीर
(श्री जी० बी० मावलंकर स्पीकर भारत पा०) भगवान महावीर एक महान प्रात्मा हैं जो केवल जैनियों के लिये ही नहीं बल्कि समस्त संसार के लिए पज्य हैं। आज कल के भयानक समय में भगवान महावीर की शिक्षानों की बड़ी जरूरत है। हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी याटको ताजा रखने के लिये उनके बताये हुए मार्ग पर चल।
भगवान महावीर का उपदेश शान्ति का सच्चा मार्ग है
श्री राज गोपालाचार्य महावीर भगवान का संदेश किसी खास कौम या फिरके के लिये नहीं है बल्कि समस्त संसार के लिए है। अगर जनता महावीर स्वामी के उपदेश के अनुसार चले तो वह अपने जीवन को प्रादर्श बनाले । संसार में सच्चा सुख और शान्ति उसी सुरत में प्राप्त हो सकती है जब कि हम उनके बतलाये हए मार्ग पर चलें।
जैन संसार देहली मार्च १९४७ पृ. ५
... - - १. अनेकान्त वर्ष ४, पृ० ११२ । २. महावीर स्मृति ग्रन्थ (आगरा) भाग १ पृ. २ । मोहनदास कर्मचन्द गांधी
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