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इनके समय में सिंह, बाध आदि और अधिक कर तथा हिंसक बन गये, इनसे जनता में बहुत भारी व्याकुलता और भय फैल गया। तब क्षेमंधर मनु ने इन हिंसक पशुओं को दृष्ट प्रकृति का लोगों को परिचय कराया और डंडा आदि से उनको दूर भगा कर अपनी सुरक्षा का उपाय बतलाया तथा दीपक जाति के कल्पवृक्ष की हानि हो जाने से दीपोद्यौत करने का उपाय भी बतलाया, जिससे स्त्री पुरुषों का भय दूर हुआ।
सीमंकर कुलकर क्षेमंधर मनु के स्वर्गवास हो जाने पर पल्य के ८० हजारवें भाग व्यतीत हो जाने पर पांचवें कुलकर "सीमंकर" उत्पन्न हुए। इनका शरीर ७५० धनुष ऊंचा था और ग्रायु पल्य के एक लाख भाग प्रमाण थी। उनकी देवी का नाम "मनोहारी" था। इस मनु ने उस समय के लोगों को वृक्षों की सीमा बताई।
सीमंधर कुलकर सीमकर कुलकर के स्वर्ग चले जाने पर सीमंधर नाम छठे कुलकर हुए। इनका शरीर ७२५ धनुष ऊंचा और आयु पल्य के दश लाख भाग प्रमाण थी, इनकी देवी यशोधरा थी इस मनु ने उस समय के लोगों को भिन्न-भिन्न रहने की सीमा बतलाई पौर निराकुल करके प्रापस की कलह मिटाई।
विमलवाहन कुलकर सीमंधर मन के स्व रोदा के बाद गाय के अस्सी लाखवें भाग प्रमाण समय बीत जाने पर विमलवाहन नामक सानवें कुलकर उत्पन्न हुए। उनकी आयु पत्य के एक करोड़वें हिस्से थी, और शरीर ७०० धनुष था। इनकी देवी का नाम सुमति था।
इन्होंने स्त्री पुरुषों को दुर तक माने जाने की सुविधा के लिए हाथी घोड़े आदि वाहनों पर सवारी करने का ढंग समझाया।
चक्षुष्मान कुलकर सातवें कुलकर विमलवाहन के स्वर्गारोहण के पश्चात पल्य के प्राट करोड़वें . भाग बीत जाने पर ग्राठव मनु चक्षुष्मान उत्पन्न हुए। उनकी प्रायु पल्य के दश करोड़वें भाग प्रमाण थी और शरीर की ऊंचाई धनुष ६७५ थी। उनको देवी का नाम वसुन्धरा था।
इनसे पहले भोगभूमि में बच्चों (लड़की लड़के का युगल) उत्पन्न होते ही माता-पिता की मृत्यु हो जाती थी, वे अपने बच्चों का मुख भी न देख पाते थे किन्तु पाठवें कुलकर के समय माता-पितामों के जोवित रहते हुये बच्चे उत्पन्न होने लगे, यह एक नई धटना थी जिसको कि उस समय के स्त्री-पुरुष नहीं जानते थे, अतः वे पाश्चर्यचकित और भयभीत हुये कि यह क्या मामला है।
तब चक्षुष्मान कुलकर ने स्त्री पुरुषों को समझाया कि ये तुम्हारे पुत्र-पुत्री हैं, इनसे भयभीत मत होग्रो, इनका प्रेम से पालन करो, ये तुम्हारी कुछ हानि नहीं करेंगे । कुलकर की बात सुनकर जनता का भय तथा भ्रम दूर हुआ और उन्होंने कुलकर की स्तुति तथा पूजा की।
यशस्वी कुलकर आठवें कुलकर की मृत्यु हो जाने के बाद पल्य के अस्सी करोड़वें भाग
समय बीत जाने पर वे कुलकर यशस्वो हुये । उनका शरीर ६५० धनुष ऊंचा था और प्रायु पल्य के सौ करोड़वें भाग प्रमाण थी। उनकी देवी का नाम कान्तमाला था।
यशस्वी कुलकर ने यह एक विशेष कार्य किया कि उन भोगभूमिज स्त्री पुरुषों के जीवन काल में ही उनके सन्तान होने लगी थी, उन्होंने लड़के लड़कियों के नाम रखने की पद्धति चालू की।
अभिचन्द्र कुलकर नौवं कुलकर के स्वर्गवास हो जाने पर पल्य के ८०० करोड़वें भाग समय बीत जाने पर दसवें अभिचन्द्र मन हये। उनके शरीर की ऊंचाई छ: सौ पच्चीस ६२५ धनुष और प्रायु एक करोड़ से भाजित पल्य के बराबर थी। उनकी स्त्री का नाम श्रीमती था।
इन्होंने बच्चों के लालन-पालन को, उनको प्रसन्न रखने की उनका रोना बन्द कराने की विधि स्त्री पुरुषों को सिखाई।।
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