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६. स्वयंभूरमण पर्वत
विस्तार ऊँचाई | गहराई
ति. प. १५३ रा वा.।३। | ह.पु।५५ । वि.सा. | मूल | मध्य | ऊपर ।"
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पर्वत
द्वितीय पृथ्वी के घात इन्द्रक में ग्यारह धनुष, एक हाथ, दश ग्रंथुल और ग्यारह से भाजित दश भाग प्रमाण शरीर का उत्सेध हैं। घात प. में दं.११, अं १०१।
संघात इन्द्रक में नारकियों के शरीर का उत्सेध बारह धनुष, और ग्यारह से भाजित अठसत्तर अंमूल प्रमास है । मंघात प. में दं. १२ अं. (44)
द्वितीय पृथ्वी के जिन इन्द्रक में शरीर का उत्सेध बारह धनुष, तीन हाथ, तीन अंगुल और ग्यारह से भाजित तीन भाग प्रमाण है। जिह प. मे दं. १२, है. ३, अं. ३ ।
जिह्वक पटल में शरीर का उत्से घ तिरेपन हाथ, तेईस अंगुल और एक ग्रंगल के ग्यारह भागों में से पांच भाग मात्र है। जिड़क प. में है. ५३, अं २३३ ।
लोल नामक पटल में शरीर का उत्सेध चौदह वनुष और ग्यारह से भाजित दो सौ सोलह अंगुल मात्र है। लोल प. में द. १४, अं. ३११(१९६९)।
लोलक नामक पटल में नारकियों के शरीर की ऊंचाई उनसठ हाथ, पन्द्रह अंगुल और ग्यारह से भाजित अंगुल के नौ भाग प्रमाण है। लोलक प. भे ह. ५६, अं. १५६ ।
द्वितीय पुथ्वी के स्तन लोलक अन्तिम पटल में पन्द्रह धनुष दो हाथ और बारह अंगुल प्रमाण शरीर का उत्सेष है। स्तन प. में दं. १५, इ. २, अं १२ ।
मेघा पृथ्वी में एक अमुष, दो हाथ, बाईस अंगुल और तीन से भाजित एक अंगुल के दो भाग प्रमाण हानि-वृद्धि जानना चाहिये ।
मेषा पृथ्वी के तप्त इन्द्रक में जीवों के शरीर का उत्सेत्र सत्तरह धनुष, चौंतीस अंगुल और तीन से भाजित अंगुल के दो भाग प्रमाण है। तप्त प. में दं. १७, भ, ३४३ ।
तीसरी पृथ्वी के शीत इन्द्रक में नारकिमों का उत्सेध उन्नीस धनुष और तीन से भाजित अट्ठाईस अंगुल मात्र है । शोत प. में दं. १६, अं. (63)।
तीसरी पृथ्वी के तपन इन्द्रक बिल में शरीर का उत्सेघ दीस धनुष सहित अस्सी अंगुल-प्रमाण है। तपन प. में दं. २०, अं. ८० (ह. ३, अं. ८)।
- मेघा पृथ्वी के तारन इन्द्रक में स्थित जीवों के शरीर का उत्सेध नब्ब हाथ और तीन से भाजित बीस अंगुल मात्र है। तापन प. से ह. १० अं.२० (दं २२ ह. २, अं.६३)।
निदाघ नामक पटल में नारको जीवों के शरीर की ऊंचाई सत्तानबै हाथ और तीन से भाजित सोलह अंगुल मात्र है। निदाघ ग. में है. १७, अं. (द. २४, ह. १, अं. ५३) ।
मेघा पृथ्वी में प्रज्जलित नामक पटल में स्थित जीवों के शरीर का उत्सेध इम्बीस धनुष और चार अंगुल प्रमाण है । प्रज्वलित प. में
उज्वलित इन्द्रक में नारकियों के शरीर का उत्सेध सत्ताईस धनुष, तीन हाथ और तीन से भाजित आठ अंगुल मात्र है। उज्वलित प, में प.२७,ह. ३, 9.51
तीसरी पृथ्वी के संज्वलित इन्द्रक में शरीर का उत्सेध उनतीस धनुष, दो हाय और मीन से भाजित चार अंगुल मात्र है । सज्व. ग. में । प. २६, हू.२, ३ (११) ।
संत्र. ज्व. प. में घ. ३१ ह.१। चतुर्थ पृथ्वी में चारनु, एक हाथ बोस अंगुल और सात से भाजित चार भाग प्रमाण हानि-वृद्धि है । घ. ४, ह. १, अं. २०७।