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२१५१
७।११६६२० तथा
१०1१२।१७४११७
जम्बूवृक्ष की १२/ वेदियाँ सर्व वेदियाँ
नदियों का जल। गंगा-सिन्ध
६४
सुवर्ण
पीत
हिम
श्वेत
कुंदपुष्प
मृणाल
रोहित रोहितास्या हरित हरिकान्ता
सीता-सीतोदा २१ लवणसागरकेपर्वत, २४६१
पूर्व दिशा वाले |
हरित श्वेत
शंख
रजत
धवल
१०.३०
सुवर्ण
पीत
दक्षिण दिशा वाले.
१०।३१
अंकरल
पश्चिम दिशा वाले
१०१३२
रजत
श्वेत
उत्तर दिशा वाले
०/३३
बैड्य
नील
इष्वाकार
xxxxxx xxxxx
सुवर्ण
पोत
| इद्रनील मणि
काला
-
--
सफेद
| मानुषोत्तर अंनजगिरि दधिमुख . रतिकर
कुण्डलगिरी रुचकवर पर्वत | १४१ । ३।३५-१६६।२२
६७
रक्ततायुक्त पीत
१.१६६६६२-६१६६६३ १२५००० । पांचवीं पृथ्वी में तम नामक प्रथम इन्द्रक का विस्तार आठे लाख तेतीस हजार तीन सौ तेतीस और एक योजन के तीसरे भाग प्रमाण है। ६२५०००-६१६६६३-६३३३३३३।
पाची पथ्वी में भ्रम नामक द्वितीय इन्द्रक का विस्तार सात लाख इकतालीस हजार छह सौ छयासठ योजन और एक योजन के तीन भागों में से दो भाग प्रमाण है।
८३३३३३१---६१६६६ = ७४१६६६ । धूमप्रभा पृथ्वी में झष नामक तृतीय इन्द्रक के विस्तार का प्रमाण छह लाख पचास हजार योजन है। ७४१६६६३-६१६६६३= ६५००००।
पांचवीं पृथ्वीमें अंध नामक चतुर्थ इन्द्रक का विस्तार पांच लाख अठ्ठावन हजार तीन सौ तेतीस योजन और एक योजन के तीसरे भाग प्रमाण है।