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१२३४- २४३),
२ विदेह क्षेत्रको १२ विभंगा नारियों के नाम (ति. प. ।४।२२१५-२२१६), (रा. बा. ३।१०।१३।१७५।२३.१७७/७, १७, २५), (ह. पु. (त्रि. सा।६६६-६६६), (ज. प. 1- अधिकार)।
नदियों के नाम अवस्थान
ति.प.
रा. वा. वि.सा.
ज.प.
द्रवती
गांधवती
ग्राहवती
उत्तरी पूर्व विदेह में पश्चिम
से पूर्व की ओर
ग्राहवती पंकवती
ग्राहवती हृदयावती पंकावती
द्रहवती पंकावली
तप्तजला
दक्षिण पूर्व विदेह में पूर्व
से पश्चिम की ओर
मतजला
उन्मत्तजला
दक्षिण अपर विदेह में पूर्व से
पश्चिम की ओर
क्षोरोदा सीतोदा औषध वादिनी मीतान्तर वाहिनी| सीतो-वाहिनी सीतो-वाहिनी
गंभीरमालिनी
उत्तरी अपर विदेह में पश्चिम
से पूर्व की ओर
फेनमालिनी मिमालिनी
अचक्रान्त नामक बारहवें इन्द्रक का विस्तार चौतीस लाख उक्वानचे हजार छह सौ छयासठ योजन और एक योजन के तीन भागो में से दो भाग प्रमाण हैं । ३५८३३३३३-६१६६६३ .३४६१६६६
प्रथम पृथ्वी में विक्रान्त नामक तेहरखें इन्द्रक का विस्तार चौतीस लाख योजन प्रमाण जानना चाहिये । ३४६१६६६२-६१६६६३==
द्वितीय पृथ्वी में स्तन प्रथम इन्दक के विस्तार का प्रमाण तेतीस लाख आठ हजार तीन सौ तेतीस योजन और योजन के प्रति भागो में से एक भाग है । ३४०१०००-६१६६६३३३०८३३३३ ।
तनक नामक वितीय इन्द्रक का विस्तार बत्तीस लाख सोलह हजार छह सौ छ्यालय योजन और एक यौजन के तीन भागों में से दो भाग प्रमाण है 1 ३३०८३३३१६१६६६१=३११६६६६
द्वितीय पश्वी में मन नामक तृतीय इन्द्रक का विस्तार इकत्तीस लाख पच्चीस हजार प्रमाण जानना चाहिये । ३२१६६६४-६१६६६३३१२५००० ।
द्वितीय पृथ्वी में वन नामक चतुर्थ इन्द्रक के निस्तार का प्रमाण तीस लाख तेतीस हजार तीन सौ तेतीस योजन और योजन का एक तृतीय भाग है। ३१२५००-६१६६६२-२०३३३३३ ।
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