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स परिचित कराया है जो या तो देश के गारद के रूप में सर्वत्र मान्य है अथवा जो जैन धर्म और संस्कृति के संरक्षण में बेमिसाल है। उसी वृहद् शैली में भाताजी ने अपनी मंगल प्रेरणा एवं आशीर्वाद में समाज को यह एक और ऐसी कृति उपलब्ध कराई है जो जैन धर्म के मर्म को सर्वव्यास करने में अथवा उसका विश्वस्तरीय प्रचार-प्रसार करने में बहुत बड़ा कारण बनेगी। सदियों तक ज्ञानमती माताजी के इन कार्यों को एवं व्यापक दृष्टिकोण को दुनिया में सराहा जायेगा। सारा देश एवं समाज माताजी का सदैव ऋणी रहेगा। हम माताजी के आभारी हैं जिन्होंने मन्थों के प्रकाशन से अतिरिक्त एक ऐसी उपयोगी कृति के सृजन की प्रेरणा दी, जिसकी आवश्यकता को वर्तमान में तेजी से बदलते परिवेश यथा उच्च शिक्षा के नये आयाम, जैन बंधुओं के विदेश प्रवास एवं समय के साथ बदलती युवाओं की भाषायी अभिरूचि के कारण तीव्रता से अनुभव किया जा रहा था। ऐसी सरस्वती साधिका के चरणों में हम कोटिशः विनम्र अभिवन्दन करते हैं।
संस्थान द्वारा सम्पादित विविध गतिविधियों में सदैव जिनका कुशल मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है, पूज्य ज्ञानमती माताजी की भावनाओं को साकार रूप देने में जो अहर्निश प्रयत्नशील रहती हैं, ऐसी पूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदन नी पालाजी ने ही कारस्य में इस शब्दकोश के संकलन, संयोजन एवं संशोधन में आधारभूत भूमिका निभाई है, उनका सतत परिश्रम ही इस कृति के साकाररूप लेने में आधार बना है, संस्थान की ओर से उनके चरणों में विनम्र वंदन।
समय-समय पर सुल्लक श्री मोतीसागर जी महाराज द्वारा दिये गये महत्वपूर्ण सुझावों ने भी सोने में सुहागा जैसा कार्य किया है, संस्थान उनके प्रति भी विनम आभार व्यक्त करता है।
श्री जीवन प्रकाश जैन (इंदौर) विशेष बधाई एवं आशीर्वाद के पात्र हैं क्योंकि उन्होंने अपनी युवाशक्ति को इस जटिल कार्य को साकार करने में समर्पित किया है। द्र. (कु.) रजनी जैन (इंदौर), श्रीयुत कोमलचंद जैन (इंदौर) एवं संघस्थ ब. (कु.) स्वाति जैन के सहयोग हेतु भी संस्थान आभार प्रदर्शित करता है, जिन्होंने शब्दकोश के विभिन्न पहलुओं को परिपूर्ण कराने में अपना सहयोग प्रदान किया है।
इस शब्दकोश के संकलन एवं प्रकाशन हेतु दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, जंबूदीपहस्तिनापुर ने सम्पूर्ण आर्थिक व्यय का भार वहन किया है, एतदर्थ संस्थान के सभी कार्यकर्ता धन्यवाद के पात्र हैं।
इंदौर में शब्द संकलन के दौरान अखिल भारतीय दिगम्बर जैन महिला संगठन की केन्द्रीय महामंत्री श्रीमती सुमन जैन दाा कार्य करने हेतु सर्वसुविधायुक्त स्थान प्रदान करने के सहयोग को भी विस्मृत नहीं किया जा सकता।
कृति के सुन्दर एवं आकर्षक अक्षर संयोजन हेतु मेसर्स सुगन ग्राफिक्स, इंदौर के श्री मोतीलाल टोंग्या एवं ज्ञानमती नेटवर्क-हस्तिनापुर के श्री अशुल मित्तल भी धन्यवाद के पात्र हैं।
जैनधर्म के अध्येताओं को यह कोश दीर्घकाल तक सम्यक् ज्ञान की रश्मियाँ प्रदान करता रहे, इसी मंगल भावना के साथ, कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन
डॉ. अनुपम जैन
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