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________________ बह वन 526 भगवान महावीर हिन्दी-अंग्रेजी अन शब्दकोश से हुई है। इसके 6 खंड हैं (देखें- पट्खं टीका)। पहले खण्ई के सूत्र पुष्पदंत आचार्य (ई. . 06-126) के बनाये हुए है, उनका शरीरान हो जाने के कारण श हों के परे । सूप आचार्य भूतबलि (ई. 136-156) ने बनाये थे। छठा घ-Su खण्ड सविमार रूप में आचार्य मृतवति (महारप के रूप The 31stconsonant of the Devanagarnsyllabary में बनाया गया है। दवन्गगरी वर्णपाला का इकतीसा व्यंजन अक्षर. इसका उच्चारण घटखंडागम टीका - Sarkhandigana Tika. स्थान मध है। The commentary books written on चंड वन-Sonda Vana. Sharkhanalagani -6 great scriptural pans. The initiation forest of Lord Mahavira. पखण्णागम ग्रंथ के जीववाण, खहाबंध, बंघस्वामित्व विचय. गर्थक महानगर काक्षा वन । इराके अन्य नाम जान वन व वेदना, वर्गमा, महामंध इन 6 खंडो में आदि के 5 खण्डों पर मोहर. वन भी मिलते हैं। उपलव्य अनेक टीकादं: छठे पह पर वीरसेन ठामी ने पर-Sat. संक्षिप्त न्याय के अतिरिक्त और कोई टीका नहीं की है। Sex सर्वप्रथम परिकर्म नामक टीका आचार्य कन्दकन्द. 127 179) दर प्रथम तीन खण्डों पर, दूसरी टीका आचार्य बद्अ नायतन - SurArutyataram. समन्तभद (ई. श.21 प्रथम 5 खंड पर, तीसरी टीका Six reasons of false beliet आचार्य शामकृण्ट (ई. शु. ३) द्वारा प्रथम पाच खंडों पर एवं मिव्यात्वादि के कारणमृत 6 स्थान। कुंदव, कुगुरु. कुशास व चौधरीका आचार्य वीरसेन स्वापी (ई.170-8211वारा की नहीनों में भक्त । गई है। इसके अतिरिक्त 20 शताब्दी की प्रथम बालब्रह्मचारिणी बट आवश्यक - SurAvastka. आर्यिका गणिनी श्री ज्ञानगती मानाजी सारा पखंदागप के चार Slx essential duties of Jaind saints छहाँ पर सिद्धान्तरिम्सामणि नामक संस्कृत टीका लिखीरा मुनियों के । आवश्यक कर्तव्यः ममाविक, पंदना, स्तुति, एकी है. पचने मंग परौंका लेखन कार्य पूज्य मासाजी द्वारा अतिक्रमण, स्वाध्याय र मर्ग ! जारी है। इसकी हिन्दी टीका प्रशाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनानमी साल की.... बट् आवश्यक (प्रावक)Surt r uka (Sravcikal. पट्गुण हानि वृद्धि - Sarpura Hani Veddhi. Sie essential duties of Jalna followers Finite ar infinite increase & decrease in indivise प्रावक के आवश्यक कर्तव्य-दान, पूजा, गुरु की मेवा, ible particles (of 6 kinds). स्वाध्याय, संयम और गप । अविभाग प्रतिच्छदों में हानि वृद्धि का नाम ही पट्गुण हानि चट् कर्म - Sat karma. वृद्धि है। ये 6-6 प्रकार में होती है। (देखें - गुण हानि वृद्धि)। Bly occupations for livelihood Instructed by Lord Rishabhadev घसात्वारिंशत - Safcavarirasatn. भगवान पदेष द्वारा प्रजा की आजीविका के लिए बताये गये Forty six (46 virtues of Lord Arihant etc) कार्य असि, मसि, कृषि, विधा, वाणिज्य और शिल्प । 46(अर्हत भगवान के 46 गुण, आहार के 46 दोष, वसतिका . सम्बंधी 46 टडेव आदि)। क्ट्काय - Sarkayn. Six kinds of body forms of living beings. घत्रिंशत - Satrimsela. वाम तण दिवी, जल, वाय, अग्नि और वसम्मतिकाय के Thirty six (basic restraints of Acharya etc). 36. आचार्य के मूलगुण: 12 तप, 10 धर्म, 6 आवश्यक. पदकारक - Satkarmka. 5 आधार. 3 गुप्ति । Siz kinds of casas (of grammar) घट्पयापिा -Sarparjaptu. कर्ता, कर, करण, सम्पदान, अपादान और अधिकरपा । Six kinds of basic developmanl of beings. घट्खंड - Sarkhamelu. आहार, शरीर, इन्द्रिय, स्वासोच्छ्वास, भाषा और पनः गर्याप्ति। Sut parts of Bhajat Kirberra (region) etc पदप्रामृत टीका - Shiprablyre Tiki. अंबूढीप के प्रतक्षेप आदि के एक आर्य 25 म्लेश खंड। The Sanskrit commentary book an Shetprabhat' इन्हीं पर खण्डों को चक्रवर्ती जीतता है। treatlsa. बटूखंगम - Sarkheindaginee कुन्यकुन्द आचार्य के पट्मभृत की आचार्य श्रुतसागर (६. सन 1487-1533) कृत संस्कृत टीका । Six parts of the great Jalna philosophical literature containing Xumatic Theory. जबंशता - Sedundati. कर्म सिद्धांत विषयक अब इसकी उत्पति मूल बादशांग प्रभम्कंध Defining a matter Into6parts. किमी दथ्य बने । अंशों में मानना ।
SR No.090075
Book TitleBhagavana Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanamati Mata
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year
Total Pages653
LanguageHindi, English
ClassificationDictionary, Dictionary, & Religion
File Size16 MB
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