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श्रुतिगम्य
524 भगवान महावीर हिन्दी-अंग्रेजी मेन शावकोश 1-Srinigamyu.
Jaina saints. Knowledge acquired by something heard.
हस्तिनापुर के कुरुवंशीय राजा मामप्रम के भाई। पदेव को अनपेक्षित रूप से प्रकृति में कारण व श्रुतिमात्र से बोधिस
देवकर पूर्वधन में अपने दारा दिये गये आहार दान का स्मरण निगम्य है।
मो माया था। इससे विधिपूर्वक वृषभदेव को प्रक्षरस का प्रथम श्रेणिक-Srenika.
आहार दे सके। आहारदान देने की प्रवृत्ति इन्हीं से शुरू हुई,
अतः इन्हें दानतीर्थ प्रवर्तक कहा जाता है। अत में दशा लेकर A Buddha king of Magadh country, who became
में वपदेय के गणधर दुये और मोक्षप्राप्त किया Jaina later on, and ultimately became chieflistener in the Santrvshanan of Lord Mahavira, and 'श्रयासनाथ-Sreylurnsanithd He will be the first Tirtharkur (Jalna-Lord) of Name of the11m Tirthankar Jaina-Lord). Future time.
वर्तमान भरत झा के 11वें तीर्थकर, सिंहपुरी (वर्तम्गन में पजा उपप्रेषिक के पुत्र का नाम: मगधदेश का राजा। पहले
सारनाथ नाम से प्रसिद्ध) के भयाकुषसी वा विश्चि एवं बौद्ध बाद में अपनी रानी चलना के उपदेश से बैन हो गये
महारानी नंदादेवी कपूष, आम 84 लाख कर्म, वर्णस्वर्ण और मापवान रहावीर के समवसरण में मुख्य श्रोला बने तथा
सदृश था। दो उपवास में पलमान कृष्णा एकादशी के दिन सीका प्रकृति का बध का आगामी प्रथम दीकर (महापप)
श्रवण-नक्षत्र में 1000 राजाओं के साथ दीक्षा ली। इसका गंगासाय...31551 ... . .
विगहा। श्रेणिमार्ग - Sreainnarga.
श्रेयोससागर - Sreyaurasagaru. Two particular stages (Upashan shren Neme of a great charw. In the disciple trediKshapaat Shreni) in the path of salvation.
tion of Acharya Shri Shanlisagarji Mahara. उपशम और क्षपक श्रेणी दो श्रेणीमा ! जिन पर नियंचलिंग
20पीसदी के प्रथम आचार्य चारित्रवधामी श्री शांतिमागरजी दाते मुनि बसे।
महाराज की परम्परा में हुए पंचम पक्षाचार्य। इनकी प्रेरणा में fruft - Sreni
मांगीनगी मिक्षेत्र पर 24 तीर्थकर प्रतिमाओं का नूतन बिनमंदिर Arithmatical and Gaametrical progression, निर्मित किया गया है। ये एक महान अपस्वी आचार्य मे । Series
अयोधिधा - Sreyvida. संकलन अवहार श्रेणी और गुणन व्यवहार श्रेणी ।
Nema of a treatise willen by Achary श्रेणी-Sreni.
Abhayanandi of Nandi group. Serles, Class. Divislan.
नंदिसंप देशीयगणा के आचार्य अभयदि सारा रचित अनेक पंक्ति, कम, इस शब्द का प्रयोग अनेक प्रकरणों में आता है.
कृतियों में एक कृति, समय -ई.930-450 | बैमे आकाश प्रदेशों की श्रेणी, सरसेना की 18 श्रेणियां.
प्रोता - Srota स्वों के श्रेणीबद विपान, शुम्लध्यानात साधु की उपशम ध।
Llataners. क्षपक श्रेषगी आदि।
धर्म को सुनने वाले पुरुष। गुण-दोषों की अपेक्षा मनके 14 भेट श्रेणीचारण ऋद्धि - Srericārana Radulhi. A pe of auper natural power related to the प्रोत्र (इंद्रिय)- Srotra (Indriya), careful walking over make, fira etc.
Ears, the hearing organ of the body. एक चारण दिजिमाके प्रभाव में पम, सपिन, पर्वत और
कर्ण इन्द्रिप । वृक्ष के तन्नु ममूह पर से ऊपर चलने की शक्ति प्राप्त होती है।
प्रोत्रज मसिज्ञान - Srorija Marijana. श्रेणीबद्ध-Srentbeddha.
Sonory knowledge acquired through speech. Soquantal; tho dwelling & aboding placms of
सुनको प्राप्त किया गया शार । hells heaventia. BiaVimatespectively). स्वर्ग व नरक के श्रेणीबद्ध विमान बस, का विशाओं व
श्रोत्रिय - Srotriya. विदिशाओं में परिमाप बो विमान व बित बनी मेणबद्ध
One who has thoroughly studied the scripluras. मंशा है।
शुभ शाब में जानने वाले श्रोत्रिय.कहलाते है। श्रेयस्कर - Sreyaskara.
श्ले ष-Slesa. Menlorious. Auspicious, A type of heavenly
A union, an asociabon, Aligum of speech con
talning two or more meaninga of a word. dertles. लाभप्रथ, मंगलकारी, तौमासिक देयों का एक भेद।
संयोग, मिलान, वह अलंकार जिसमें कोपा अनेक अर्थों वाले
शहअथवा वे अनेक अर्थों में प्रयुक्त हुए हो । प्रेस -Sreydisa
लेखसंबंध-Slesa Sambandha. Name of a king, a great personality of Jalra history who gave sugarcane juica lo Lord
Closarmalatian (togetherness). Ristubhdev, Inldaling the food-offering to the श्लेष संबंध, परस्पर संबंध को प्राप्त होना, जैसे कार और