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जून 1982 से अप्रैल 1985-लालकिला मैदान, दिल्ली से तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरागांधी द्वारा 4 जून, 1982 को पूरे देश में भ्रमण करने हेतु 'जम्बूदीप ज्ञानज्योति' का उद्घाटन किया गया। जनसाधारण में अहिंसा, चारित्र-निर्माण तथा विश्व बन्धुत्व के संदेश का प्रचार-प्रसार करते हुए 1045 दिन तक देश भर में भ्रमण करने के पश्चात् यह ज्ञान ज्योति तत्कालीन रक्षामंत्री श्री पी.वी नरसिम्हा राव (भूतपूर्व प्रधानमंत्री) द्वारा जम्बूद्वीप के मुख्य द्वार के समक्ष सदैव के लिए स्थापित कर दी गई।
1992-'अंतर्राज्यीय चारित्र निर्माण संगोही' का जंबूद्वीप स्थल पर श्री नेमीचंद जैन, विधायक (मध्यप्रदेश) की अध्यक्षता में आयोजन किया गया।
'जैन गणित' एवं 'चारित्र निर्माण पर हुई संगोष्ठियां मेरठ विवविद्यालय एवं दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई।
1993- अयोध्या में संघ विश्वविद्यालय-रजाबाद के संयुक्त तत्वावधान में 'भगवान ऋषभदेव-मानवीय संस्कृति के प्रथम प्रवर्तक' विषय पर संगोष्ठी ।
अक्टूबर 1995-मेरठ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में पंचदिवसीय 'गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती साहित्य संगोष्ठी-95।।
मार्च-अप्रैल 1998- तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी दारा 9 अप्रैल 1998 को तालकटोरा स्टेडियम, दिल्ली से देश भर में भ्रमण करने हेतु 'भगवान ऋषभदेव समवसरण श्रीविहार रथ' का उद्घाटन! 3 वर्ष तक देशभर में तीर्थकर भगयन्तों के सर्वोदयी सिद्धांतों एवं जैनधर्म की प्राचीनता का प्रचार-प्रसार करने के पश्चात् यह समवसरण इलाहाबाद उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश द्वारा तीर्थंकर ऋषभदेव तपस्थली-प्रयाग तीर्थ (इलाहाबाद) में स्थापित कर दिया गया।
अक्टूबर 1998- जम्बूद्वीप स्थल पर 'राष्ट्रीय कुलपति सम्मेलन', जिसका उद्घाटन किया गया-स्वर्गीय श्री राजेश पायलट (तत्कालीन संसद सदस्य द्वारा)।
फरवरी 2000-तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 4 फरवरी 2000 को लाल किला मैदान, दिल्ली में एक वर्ष तक चलने वाले 'भगवान ऋषभदेव अंतर्राष्ट्रीय निर्वाण महामहोत्सव वर्ष का उद्घाटन किया गया।
इस युग में जैनधर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभदेव पर '1008 संगोलियों की श्रृंखला, 'भगवान ऋषभदेव कीर्तिस्तंभों' का निर्माण तथा अनेक अन्य सामाजिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रम राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस वर्ष के अंतर्गत आयोजित किये गये।
टोरण्टो, कनाडा, न्यू जर्सी आदि विदेश भूमियों पर भी इन्हीं प्रेरणाओं के माध्यम से 6 फरवरी 2000 को निर्वाण महामहोत्सब मनाया गया।
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