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भद्रबाहु संहिता
का नाश होता है (छर्दनेमरणं ध्रुवम्) उल्टी होती हुई देखे तो निश्चित मरण होता है। (वाहेपादपछत्राणां) वृक्ष पर चढ़ता हुआ देखे तो (गृहाणांध्वंसमादिशेत्) घर का नाश होता है।
भावार्थ-जो स्वप्न में मल जाता हुआ देखे तो धन का नाश, उल्टी करता हुआ देखे डो मरण होता है इन पर बदला हुआ देखे तो घर का नाश होता है।। १३४ ॥
स्वगाने रोदनं विद्यात् नर्तने बधबन्धनम्।
हसने शोक सन्तापं गमने कलहं तथा॥ १३५ ।। (स्वगाने रोदनं विद्यात्) जो स्वप्न में अपने को गाना गाता हुआ देखे तो रोना होता है (नर्तने बधबन्धनम्) नाचना देखने से बन्धन में पड़ता है (हसने शोक सन्तापं) हँसना देखने से शोक और सन्ताप होता है (तथा गमने कलहं) तथा चलना देखने से कलह होता है।
__ भावार्थ-यदि स्वप्न में गाना गाता हुआ देखे तो उसको रोना पड़ता है, नाचना देखने से बन्धन में पड़ता है, हँसना देखने से शोक और सन्ताप होता है, चलना देखने से कलह होता है ।। १३५ ।।
सर्वेषां शुभ्रवस्त्राणां स्वप्नेदर्शन मुत्तमम्।
भस्मास्थितक्रकार्पास दर्शनं न शुभप्रदम् ॥ १३६ ।। (स्वप्ने) स्वप्न में (सर्वेषांशुभ्रवस्त्राणां) सभी के सफेद वस्त्रों को (दर्शनेमुत्तमम्) देखना उत्तम माना है (भस्मास्थि तक्र कार्पास) किन्तु भस्म, हड्डी, छाछ और कपास (दर्शनं न शुभप्रदम्) का दर्शन शुभप्रद नहीं है।
भावार्थ-स्वप्न में यदि सफेद वस्त्र देखे तो दृष्ट्रा को शुभ है और भस्म हड्डी, छाछ, कपास का देखना अशुभ है ।1 १३६ ॥
शुक्लमाल्यां शुक्लालङ्कारादीनां धारणं शुभम्।
रक्त पीतादि वस्त्राणां थारणं न शुभं मतम् ।। १३७ ।। स्वप्न में (शुक्लमाल्यां शुक्लालङ्कारादीनां) सफेद माला अलंकार (धारणं शुभम्) धारण करना शुभ है, और (रक्तपीतादि वस्त्राणां) लाल, पीले वस्त्रों को (धारणं न शुभमतम्) धारण करना शुभ नहीं है।