________________
भद्रबाहु संहिता
७४२
देखे तथा आकाश मार्गमें देवताओंकी दुन्दुभिकी आवाज सुने तो पृथ्वीके नीचेसे शीघ्र धन मिलता है।
सन्तानोत्पादक स्वप्न स्वप्नमें वृषभ, कलश, माला, गन्ध, चन्दन, श्वेत पुष्प, आम, अमरूद, केला, सन्तरा, नीबू और नारियल इनकी प्राप्ति होने से तथा देव मूर्ति, हाथी, सत्पुरुष, सिद्ध, गन्धर्व, गुरु, सुवर्ण, रत्न, जौ, गेहूँ, सरसों, कन्या, रक्तपान करना, अपनी मृत्यु देखना, केला, कल्प वृक्ष, तीर्थ, तोरण, भूषण, राज्यमार्ग
और मट्ठा देखने से शीघ्र ही सन्तानकी प्राप्ति होती है। किन्तु फल और पुष्पोंका भक्षण करना देखने से सन्तान मरण तथा गर्भपात होता है।
__ मरण सूचक स्वप्न स्वप्नमें तैल मले हुए, नग्न होकर भैंस, गधे, ऊंट, कृष्ण बैल और काले घोड़े पर चढ़कर दक्षिण दिशाकी ओर गमन करना देखने से; रसोई गृहमें लालपुष्पों से परिपूर्ण वनमें सूतिका गृहमें अंग-भंग पुरुषका प्रवेश करना देखने से; झूलना, गाना, खेलना, फोड़ना, हैंसना, नदीके जलमें नीचे चले जाना तथा सूर्य, चन्द्रमा, ध्वजा और ताराओंका गिरना देखने से भस्म, घी, लोह, लाख, गीदड़, मुर्गा, विलाव, गोह, नेवला, बिच्छू, मक्खी, सर्प और विवाह आदि उत्सव देखने से एवं स्वप्नमें दाढ़ी, मूंछ और सिरके बाल मुंडवाना देखने से मृत्यु होती है।
पाश्चात्य विद्वनों के मतानुसार स्वप्नों के फल-यों तो पाश्चात्य विद्वानोंने अधिकांश रूपसे स्वप्नोंको निस्सार बताया है, पर कुछ ऐसे भी दार्शनिक हैं जो स्वप्नोंको सार्थक बतलाते हैं। उनका मत है कि स्वप्न में हमारी कई अतृप्त इच्छाएँ भी चरितार्थ होती हैं। जैसे हमारे मनमें कहीं भ्रमण करनेकी इच्छा होने पर स्वप्नमें यह देखना कोई आश्चर्यकी बात नहीं है कि हम कहीं भ्रमण कर रहे हैं। सम्भव है कि जिस इच्छाने हमें भ्रमणका स्वप्न दिखाया है वही कालान्तरमें हमें भ्रमण करावे। इसलिए स्वप्नमें भावी घटनाओंका आभास मिलना साधारण बात है। कुछ विद्वानोंने इस थ्योरीका नाम सम्भाव्य गणित रखा है। इस सिद्धान्तके अनुसार कुछ स्वप्नमें देखी गई अतृप्त इच्छाएँ सत्यरूपमें चरितार्थ होती हैं, क्योंकि बहुत समय कई इच्छाएँ अज्ञात होनेके कारण स्वप्नमें प्रकाशित रहती हैं और ये