________________
I
!
*
!
षडविंशतितमोऽध्यायः
और नारदके मत से सन्तान कष्ट और अर्थ लाभ एवं मार्कण्डेयके मत से अपार कष्ट होता है।
७३७
गाय- - दुहनेवालेके साथ गायको देखने से कीर्ति और पुण्य लाभ होता है। गणपति दैवज्ञके मत से जल पीती गाय देखने से लक्ष्मीके तुल्य गुणवाली कन्याका जन्म और वराहमिहिरके मत से स्वप्न में गायका दर्शन मात्र ही सन्तानोत्पपादक है। गिरना – स्वप्न में लड़खड़ाते हुए गिरना देखने से दुःख, चिन्ता एवं मृत्यु होती है।
गृह — गृहमें प्रवेश करना, ऊपर चढ़ना एवं किसीसे प्राप्त करना देखने से भूमि लाभ और धन-धान्यकी प्राप्ति एवं गृहका गिरना देखने से मृत्यु होती है। घास — कच्चा घास, शस्य [ धान], कच्चे गेहूँ एवं चनेके पौधे देखने से भार्याको गर्भ रहता है । परन्तु इनके कटने या खाने से गर्भपात होता है।
घृत — घृत देखने से मन्दाग्नि, अन्यसे लेना देखने से यश प्राप्ति घृत पान करना देखने से प्रमेह और शरीरमें लगाना देखने से मानसिक चिन्ताओं के साथ शारीरिक कष्ट होता है।
घोटक —— घोड़ा देखने से अर्थ लाभ, घोड़ापर चढ़ना देखने से कुटुम्ब वृद्धि और घोड़ीका प्रसव करना देखने से सन्तान लाभ होता है ।
चक्षु —– स्वप्नमें अकस्मात् चक्षुद्वयका नष्ट होना देखने से मृत्यु और आँखका फूट जाना देखने से कुटुम्बमें किसी की मृत्यु होती है।
चादर - स्वप्न में शरीरकी चादर, चोंगा या कमीज आदिको श्वेत और लाल रंगकी देखने से सन्तान हानि होती है।
चिता -- अपने को चितापर आरूढ़ देखने से बीमारीकी मृत्यु और स्वस्थ व्यक्ति बीमार होता है।
जल - स्वप्नमें निर्मल जल देखने से कल्याण, जल द्वारा अभिषेक देखने से भूमिकी प्राप्ति, जलमें डूबकर अलग होना देखने से मृत्यु, जलको तैरकर पार करना देखने से सुख और जल पीना देखने से कष्ट होता है।
जूता - स्वप्नमें जूता देखने से विदेश यात्रा, जूता प्राप्त कर उपभोग करना देखने से ज्वर, एवं जूतासे मार-पीट करना देखने से छः महीनेमें मृत्यु होती है।