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भद्रबाहु संहिता
सोना महँगा होता है। १७ दिनमें गाय, बैल आदि पशुओंकी हानि होती है। मोती, जवाहरात भी तेज होते हैं। वृष राशिके बुध सभी वस्तुओंमें साधारण घटा-बढ़ी, मिथुन राशिके बुध सभी प्रकारके अनाज सस्ते; कर्कके बुधमें अफीम का भाव तेज होता है। सिंह राशिके बुधमें धान्यका भाव सम रहता है, खट्टे पदार्थ, देवदारु तेज होते हैं और १८ दिनमें सूत, वस्त्र, रेल्वेके स्लीपपाट, साधारण लकड़ीका भाव तेज रहता है। कन्याराशिमें बुधके रहनेसे छ: महीने तक सोना, चीनी तेज होते हैं, पश्चात् खन्टे हो नते हैं। दुलाराशिके बुधमें धान्य महंगे, वृश्चिकराशिके बुधमें चौपाए और अफीम महँगी, धनुके बुधमें अफीम महँगी, मकरके बुधमें समभाव, कुम्भके बुधमें धान्य में घटा-बढ़ी और मीनके बुधमें रूई, अलसी, मैथी, लौंग भी तेज होती है। फाल्गुन और आषाढ़ इन महीनोंमें बुधका उदय होनेसे धान्य, घी और लाल पदार्थ महंगे होते हैं। पूर्वमें बुद्धोदय होने पर २५ दिनके बाद रूईमें १०/- रुपयेकी तेजी आती है और पश्चिममें बुधोदय होने पर रूई, कपास, सूत
आदिमें सस्ती आती है। मार्गशीर्षमें बुधोदय हो तो रूई तेज होती हैं। पूर्व दिशामें बुधका अस्त होनेसे ३३ दिनोंमें धान्य, घृतादि मन्दे होते हैं किन्तु रूईमें १५ रुपये की तेजी आती है। पश्चिममें बुधके अस्त होनेसे १५ दिनमें रूई १०/- रुपये तक सस्ती होती है। मेष राशिसे लेकर सिंह राशि तक बुधके मार्गी होनेसे कपड़ा, चावल, हाथी, घोड़ा आदि पदार्थ सस्ते होते हैं। कन्या और तुला में बुद्ध के मार्गी होने से चन्दन, सूत, घृत, चीनी, अलसी आदि पदार्थ महंगे होते हैं। वृश्चिकमें बुधके मार्गी होनेसे एरण्ड, बिनौला और मूंगफली तेज हो जायगी। कुम्भ और मीनमें बुधके मार्गी होनेसे सोना, सुपारी, सरसों, सौंठ, लाख, कपड़ा, गुड़, खाण्ड, तेल और मूंगफली आदि पदार्थ तेज होते हैं।
गुरु की स्थिति का फलादेश-वृषराशिमें गुरुके रहनेसे घी और धान्यका भाव अत्यन्त तेज होता है। मिथुनराशिमें गुरुके रहनेसे रूई, तांबा, चाँदी, नारियल, तेल, घृत, अफीम पदार्थ पहले तेज, पश्चात् मन्दे होते हैं। कर्कराशिमें गुरुके रहनेसे सभी पदार्थ महंगे होते हैं। सिंहमें बृहस्पतिके रहनेसे गेहूँ, घी तेज और कन्यामें रहनेसे ज्वार, मूंग, मोठ, चावल, घृत, तेल, सिंघाड़ा छ: महीनेके बाद तेज, रूई तीन-चार महीनोंमें तेज या चाँदी मन्द होती है। वृश्चिक राशिके गुरुमें सभी वस्तुएँ