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पञ्चविंशतितमोऽध्यायः
धान्य खरीदने से सातवें महीनेमें लाभ होता है और फाल्गुनी पूर्णिमाको बादल हों, वर्षा हो, उल्कापात या विद्युत्पात हो तो धान्य में सातवें महीनमें अच्छा लाभ होता है। घी, चीनी, गुड़, कपास, रूई, जूट, सन और पाटके व्यापारमें लाभ होता है। माम और फाल्गुनी इन दोनों पूर्णिमाओंके स्वच्छ होने पर सोनेके व्यापारमें लाभ होता है।
भौम ग्रह की स्थिति के अनुसार तेजी-मन्दी का विचार — जब मंगल मार्गी होता है, तब रूई मन्दी होती है। मेष राशिका मंगल मार्गी हो तो मवेशी सस्ते होते हैं। वृषका मंगल मार्गी हो तो रूई तेज होकर मन्दी होती है। तथा चाँदीमें घटा-बढ़ी होती है। मिथुन और कर्क राशिके मार्ग मंगलका फल तेज-मन्दीके लिए नहीं है। सिंहका मंगल मार्गी होने पर एक मास तक अलसी और गेहूँमें तेजी रहती है। कन्याका मंगल मार्गी हो तो रूई, अलसी, गेहूँ, तेल, तिलहन आदि पदार्थ तेज होकर मन्दे होते हैं। तुलाका मंगल मार्गी होनेपर गुजरात और कच्छ में धान्य भावको महँगा करता है; वृश्चिक का मंगल मार्गी होनेपर चौपायोंमें लाभ करता है । धनुका मंगल मार्गी होनेपर धान्य सस्ता करता है। मकरका मंगल मार्गी हो तो पंजाब तथा बंगालमें धान्यका भाव तेज होता है। कुम्भका मगंल मार्गी होनेपर सभी प्रकारके धान्य सस्ते होते हैं और मीनके मंगलमें भी धान्यका भाव सस्ता ही रहता है। मेष और वृश्चिकके बीच राशियोंमें मंगलके रहने पर दो मास तक धान्य भाव तेज रहता है। जिस महीनमें सभी ग्रह वक्री हो जावें, उस मासमें अति महँगी होती है। मीनमें मंगलके वक्री होने पर धान्य और घी तेज; कुम्भमें वक्री होने पर धान्य सस्ते और घी, तेल आदि तेज; मकरमें मंगलके वक्री होनेसे लोहा, मशीनरी, विद्युतयन्त्र, गेहूँ, अलसी आदि पदार्थ तेज होते हैं। कर्क राशिमें मंगलके वक्री होनेसे गेहूँ और अलसीमें घटा-बढ़ी होती रहती है। जिस राशिमें मंगल वक्री होता है, उस राशिके धान्यादि अवश्य तेज होते हैं। माघ अथवा फाल्गुन कृष्णपक्षकी १, २, ३ तिथिको मंगलके वक्री होने पर अन्नका संग्रह करना चाहिए । इस संग्रहमें १५ दिनोंके बाद ही चौगुना लाभ होता है। जिस मासमें पूर्णिमाके दिन वर्षा होती है, उस मासमें गेहूँ, घी और धान्य तेज होते हैं।
बुध ग्रह की स्थिति से तेजी-मन्दी विचार — मेष राशिमें बुधके रहने से