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द्वाविंशतितमोऽध्यायः
उसी प्रकार चन्द्र नक्षत्रों में सूर्य और चन्द्रमा दोनों हो तो अल्पवृष्टि होती है। किन्तु सूर्य नक्षत्र पर सूर्य चन्द्रमा दोनों हो तो वर्षा नहीं होती है।
मेष की संक्रान्ति के दिन तुलाराशि का चन्द्रमा हो तो छ: महीने में धान्य की अधिकता करा है।
कन्या की संक्रान्ति होने पर मीन के चन्द्रमा से छत्र भंग होता है उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार, दिल्ली राज्य में अनेक प्रकार के उपद्रव होते हैं, बम्बई और मद्रास में अनेक प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इत्यादि सब प्रकार से समझ लेना चाहिये। इसी प्रकार डॉ. नेमीचन्द जी का अभिप्राय भी समझ लेना चाहिये।
विवेचनपूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, उत्तराभाद्रपद, रेवती, अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा और मघा में १४ नक्षत्र 'चन्द्रनक्षत्र' एवं पूर्वाभाद्रपद, शतभिषा, मृगशिरा, रोहिणी, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा और मूल में १३ नक्षत्र 'सूर्यनक्षत्र' कहलाते हैं। यदि सूर्यनक्षत्रों में चन्द्रमा और चन्द्र नक्षत्रों में सूर्य हो तो वर्षा होती है। चन्द्र नक्षत्रों में यदि सूर्य और चन्द्रमा दोनों हों तो अल्पवृष्टि होती है, किन्तु यदि सूर्य नक्षत्र पर सूर्य-चन्दमा दोनों हों तो वृष्टि नहीं होती। सूर्य नक्षत्र पर सूर्यके आने से वायु चलती है, जिससे वायु-दोषके कारण वर्षा नहीं होती। चन्द्रमा चन्द्र नक्षत्रों पर रहे तो केवल बादल आच्छादित रहते हैं, वर्षा नहीं होती। कर्क संक्रान्ति के दिन रविवार होने से १० विश्वा, सोमवार होने से २० विश्वा, मंगलवार होने से ८ विश्वा, बुधवार होने से १२ विश्वा, गुरुवार होने से १८ विश्वा, शुक्रवार होने से भी १८ विश्वा और शनिवार होने से ५ विश्वा वर्षा होती है। कर्क संक्रान्ति के दिन शनि, रवि, बुध और मंगलवार होने से अधिक वृष्टि नहीं होती, शेष वारों में सुवृष्टि होती है। चन्द्रमाके जलराशि पर स्थिति होने पर सूर्य कर्क राशि में आवे तो अच्छी वर्षा होती है। मेष, वृष, मिथुन और मीन राशि पर चन्द्रमाके रहते हुए यदि सूर्य कर्क राशि में प्रविष्ट हो तो १०० आढ़क वर्षा होती है। कर्क संक्रान्ति के समय धनुष और सिंह राशि पर चन्द्रमा के होने से ५० आढ़क वर्षा होती है। मकर और कन्या राशि पर चन्द्रमाके रहने से २५ आढ़क वर्षा एवं तुला,